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Hindi News पैसा बिज़नेस भारतीय दवा निर्माता कंपनी अमेरिका में भरेगी 3 अरब रुपये का जुर्माना

भारतीय दवा निर्माता कंपनी अमेरिका में भरेगी 3 अरब रुपये का जुर्माना

कंपनी ने स्वीकार किया है कि उसने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा पश्चिम बंगाल में उसके प्लांट का निरीक्षण करने से पहले रिकॉर्ड छिपाए थे और नष्ट किए थे। अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार कंपनी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए जुर्माना देने की हामी भर दी है।

<p>भारतीय दवा कंपनी पर...- India TV Paisa Image Source : PTI भारतीय दवा कंपनी पर जुर्माना 

नई दिल्ली| कैंसर की दवाएं बनाने वाली एक भारतीय दवा कंपनी दस्तावेज छुपाने के मामले में अमेरिका में 3 अरब रुपये का जुर्माना भरने को तैयार हो गई है। कंपनी  ने स्वीकार किया है कि उसने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा पश्चिम बंगाल में उसके प्लांट का निरीक्षण करने से पहले रिकॉर्ड छिपाए थे और नष्ट किए थे। न्याय विभाग के अनुसार कंपनी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए 50 मिलियन डॉलर (3 अरब रुपये से ज्यादा) जुर्माना देने की हामी भर दी है।

 

विभाग ने कहा है कि कंपनी फ्रेजेनियस काबी अन्कोलॉजी लिमिटेड (एफकेओएल) ने मंगलवार को लास वेगस में संघीय अदालत में सार्वजनिक तौर पर ये बातें स्वीकार कीं। कंपनी ने माना कि वह यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के जांचकर्ताओं को कुछ रिकॉर्ड उपलब्ध कराने में नाकाम रही। उसने फेडरल फूड, ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन किया और वह अपने इन अपराधों के लिए 30 मिलियन डॉलर का आपराधिक जुर्माना और 20 मिलियन डॉलर का दंड भरेगी। एक्टिंग असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल ब्रायन बॉयटन ने कहा, "एफकेओएल के आचरण ने रोगियों के जीवन को जोखिम में डाल दिया। निर्माण संबंधी रिकॉर्ड छिपाकर और हटाकर एफकेओएल ने एफडीए की रेगुलेटरी अथॉरिटी को दवाओं की शुद्धता और शक्ति सुनिश्चित करने से रोका।"

कोर्ट के दस्तावेजों के अनुसार 2013 में एफडीए के निरीक्षण से पहले कंपनी मैनेजमेंट ने पश्चिम बंगाल के कल्याणी में अपनी मैन्यूफेक्चरिंग फैसिलिटी के कर्मचारियों से कुछ रिकॉर्ड हटाने और कम्प्यूटर से कुछ रिकॉर्ड डिलीट करने के लिए कहा था। जिनसे यह खुलासा हो जाता कि एफकेओएल यूएस एफडीए के नियमों का उल्लंघन करके कुछ प्रतिबंधित ड्रग इंग्रेडिएंट्स बना रही थी। मैनेजमेंट के निर्देश पर कर्मचारियों ने परिसर के कंप्यूटर, हार्डकॉपी दस्तावेज और अन्य सामग्री को हटा दिया था।

इस मामले को लेकर एफडीए ने 4 दिसंबर, 2017 को चेतावनी पत्र भेजा था। एफकेओएल की वेबसाइट पर उपलब्ध कंपनी के इतिहास के अनुसार, इस कंपनी की शुरुआत डाबर फार्मा के एक हिस्से के रूप में शुरू हुई थी और 2008 में डाबर फार्मा समूह के प्रमोटर्स बर्मन परिवार ने डाबर फार्मा लिमिटेड की अपनी पूरी हिस्सेदारी जर्मन मल्टीनेशनल कंपनी फ्रजेनियस एसई एंड कंपनी के बिजनेस सेगमेंट फ्रेसेनियस काबी को दे दी थी।

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