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Hindi News पैसा बिज़नेस Coronavirus: सुरक्षित निवेश के लिए दुनियाभर में बढ़ी सोने की मांग, जनवरी-मार्च तिमाही में 1083.8 टन बिका सोना

Coronavirus: सुरक्षित निवेश के लिए दुनियाभर में बढ़ी सोने की मांग, जनवरी-मार्च तिमाही में 1083.8 टन बिका सोना

जब तक आभूषण उद्योग के कारीगर काम पर नहीं लौट आते और आपूर्ति श्रृंखला को जल्द से जल्द शुरू नहीं कर लिया जाता, तब तक आगे के हालात भी चुनौतीपूर्ण रहने की आशंका है।

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नई दिल्‍ली। सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव और दुनियाभर में फैली कोरोना वायरस महामारी के चलते आर्थिक अनिश्चितता के कारण दुनियाभर के निवेशक निवेशक सोने को एक सुरक्षित निवेश के तौर पर देख रहे हैं। यही वजह है कि 2020 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान सालाना आधार पर सोने की वैश्विक मांग एक प्रतिशत बढ़कर 1,083.8 टन रही। पिछले साल की समान तिमाही में सोने की वैश्विक मांग 1,070.8 टन थी।

विश्‍व स्‍वर्ण परिषद की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की स्वर्ण मांग 36 प्रतिशत घट गई। तिमाही के अंत में देशव्यापी लॉकडाउन किए जाने के बीच यह 101.9 टन रह गई। आभूषण और निवेश दोनों ही परिस्थितियों में स्वर्ण मांग घटी है। समीक्षावधि में देश की स्वर्ण मांग 37,580 करोड़ रुपए रही। यह 2019 की इसी तिमाही में 47,000 करोड़ रुपए की स्वर्ण मांग से 20 प्रतिशत कम है।

परिषद के भारतीय परिचालन के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि समीक्षावधि में घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला। सीमाशुल्क और कर की गणना किए बगैर सोने का मूल्य करीब 25 प्रतिशत बढ़कर 36,875 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया। पिछले साल इसी अवधि में यह कीमत 29,555 रुपए थी।

इस बीच आभूषण की कुल मांग 41 प्रतिशत गिरकर 73.9 टन रही, जो पिछले साल इस दौरान 125.4 टन थी। रुपए में यह मांग 27 प्रतिशत घटकर 27,230 करोड़ रुपए रही। पिछले साल इसी अवधि में यह 37,070 करोड़ रुपए थी। वहीं निवेश के लिए की जाने वाली स्वर्ण मांग इस दौरान 17 प्रतिशत घटकर 28.1 टन रही। हालांकि रुपए में यह मूल्य सालाना आधार पर चार प्रतिशत बढ़कर 10,350 करोड़ रुपए रहा।

पीआर ने कहा कि जब तक आभूषण उद्योग के कारीगर काम पर नहीं लौट आते और आपूर्ति श्रृंखला को जल्द से जल्द शुरू नहीं कर लिया जाता, तब तक आगे के हालात भी चुनौतीपूर्ण रहने की आशंका है। कोरोना वायरस संकट के बीच वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है। कच्चे तेल की कीमतें ऐतिहासिक तौर पर निचले स्तर पर बनी हुई हैं।

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