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Hindi News पैसा बिज़नेस आभूषण कारीगरों पर नहीं लगेगी एक फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी: वित्त मंत्रालय

आभूषण कारीगरों पर नहीं लगेगी एक फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी: वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सोने और चांदी के कीमती आभूषणों में दस्तकारी करने वाले कारीगरों पर एक फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी नहीं लगेगी।

सरकार ने कहा आभूषण कारीगरों पर नहीं लगेगी 1% एक्‍साइज ड्यूटी, हड़ताल जारी रखने पर अड़े ज्‍वैलर्स- India TV Paisa सरकार ने कहा आभूषण कारीगरों पर नहीं लगेगी 1% एक्‍साइज ड्यूटी, हड़ताल जारी रखने पर अड़े ज्‍वैलर्स

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सोने और चांदी के कीमती आभूषणों में दस्तकारी करने वाले कारीगरों पर एक फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी नहीं लगेगी। वहीं दूसरी ओर सोने के व्यापारियों व जौहरियों ने कहा कि जब तक सरकार एक फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी के प्रस्ताव को वापस नहीं लेती वे अपनी अनिश्चित कालीन हड़ताल जारी रखेंगे।

कारीगर नहीं आएंगे दायरे में
आभूषण उद्योग के प्रतिनिधियों की राजस्व सचिव के साथ बैठक के बाद वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कारीगर व दैनिक रोजगार के तौर पर काम करने वाले कारीगर शुल्क के दायरे में नहीं आएंगे और इस तरह से उन्हें पंजीकरण कराने, शुल्क देने, रिटर्न दाखिल करने तथा खाता संधारण की कोई जरूरत नहीं होगी। बयान में कहा गया है कि जिस मामले में आभूषण का निर्माण के दौरान कच्चे माल का प्रसंस्करण या अन्य कार्य किसी और से करवाए जाते हैं उनमें पंजीकरण करवाने, शुल्क देने व रिटर्न फाइल करने का जिम्मा मूल विनिर्माता का रहेगा न कि प्रसंस्करण का काम करने वालों का।

वैकल्पिक टैक्‍स के लिए तैयार जौहरी

सोने के व्यापारियों व जौहरियों का कहना है कि जब तक सरकार अपने प्रस्ताव को वापस नहीं लेती वे अपनी अनिश्चित कालीन हड़ताल जारी रखेंगे। जौहरियों की हड़ताल 18वें दिन में प्रवेश कर गई है। इसके साथ ही जौहरियों ने एक्‍साइज ड्यूटी के स्‍थान पर किसी अन्य रूप में टैक्‍स चुकाने की इच्छा जताई है। ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्‍वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के निदेशक अशोक मीनावाला ने कहा कि हम इस हड़ताल को अनिश्चितकाल तक जारी रखेंगे क्योंकि हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि उद्योग कर चुकाने से नहीं डरता क्योंकि वह हर साल लगभग 30,000 करोड़ रुपए का भारी भरकम शुल्क चुकाता है। उन्होंने कहा, सरकार एक्‍साइज ड्यूटी के जरिये जो टैक्‍स कमाना चाहती है, वह हम किसी अन्य वैकल्पिक रूप में चुकाने को तैयार हैं।

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