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Hindi News पैसा बिज़नेस शीर्ष आठ शहरों में घरों की अप्रैल-जून में 79 प्रतिशत गिरी, हैदराबाद में आई सबसे ज्‍यादा गिरावट

शीर्ष आठ शहरों में घरों की अप्रैल-जून में 79 प्रतिशत गिरी, हैदराबाद में आई सबसे ज्‍यादा गिरावट

मौजूदा महामारी संकट ऐसा है, जिसके बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसके चलते भारत समेत दुनिया की अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने का अनुमान है।

Housing sales shrink 79pc in top 8 cities, record 86pc drop in Hyderabad- India TV Paisa Image Source : DECCANCHRONICLE Housing sales shrink 79pc in top 8 cities, record 86pc drop in Hyderabad

नई दिल्‍ली। देश के आठ प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री पर अप्रैल-जून में कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण के लिए किए गए लॉकडाउन का गहरा असर पड़ा है। आवास की बिक्री 79 प्रतिशत घटकर 19,038 ही रह गई। रियल एस्टेट ब्रोकिंग कंपनी प्रॉपटाइगर द्वारा जारी रिपोर्ट ‘रियल इनसाइट:क्यू2 2020’ में इस बात का खुलासा किया गया है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में मकानों की बिक्री इन आठ शहरों में 52 प्रतिशत गिरकर 88,593 इकाई रही है। प्रॉपटाइगर अपनी इस रिपोर्ट के लिए अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली-एनसीआर (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद), मुंबई महानगर क्षेत्र (मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे) और पुणे के संपत्ति बाजार का विश्लेषण करती है।

आंकड़ों के अनुसार हैदराबाद में सबसे अधिक 86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यहां अप्रैल-जून में मात्र 1,099 मकान बिके। इसके बाद मुंबई में 85 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4,559 मकानों, अहमदाबाद में 83 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,181 मकानों और दिल्ली-एनसीआर में 81 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,886 मकानों की बिक्री हुई।

कोलकाता, पुणे, बेंगलुरु और चेन्नई में भी इस दौरान मकानों की बिक्री में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही। प्रॉपटाइगर, हाउसिंग डॉट कॉम, मकान डॉट कॉम के समूह मुख्य परिचालन अधिकारी मणि रंगराजन ने कहा कि मौजूदा महामारी संकट ऐसा है, जिसके बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इसके चलते भारत समेत दुनिया की अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने का अनुमान है। इसने मांग को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है। बेराजगारी भी बढ़ रही है। हालांकि उन्होंने 2020 की दूसरी छमाही में मांग सुधरने की उम्मीद जताई लेकिन यह किसी भी पूर्वानुमान से कम ही रहने का संकेत दिया। 

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