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Hindi News पैसा बिज़नेस यूरिया बनाने के लिए होगा अव्यवहारिक कोल ब्‍लॉक का उपयोग, सरकार को होगी 55,000 करोड़ रुपए की बचत

यूरिया बनाने के लिए होगा अव्यवहारिक कोल ब्‍लॉक का उपयोग, सरकार को होगी 55,000 करोड़ रुपए की बचत

देश में यूरिया उत्‍पादन को सस्‍ता बनाने के लिए सरकार आर्थिक रूप से अव्‍यवहारिक कोल ब्‍लॉक का उपयोग करेगी।

यूरिया बनाने के लिए होगा अव्यवहारिक कोल ब्‍लॉक का उपयोग, सरकार को होगी 55,000 करोड़ रुपए की बचत- India TV Paisa यूरिया बनाने के लिए होगा अव्यवहारिक कोल ब्‍लॉक का उपयोग, सरकार को होगी 55,000 करोड़ रुपए की बचत

नई दिल्‍ली। देश में यूरिया उत्‍पादन को सस्‍ता बनाने के लिए सरकार आर्थिक रूप से अव्‍यवहारिक कोल ब्‍लॉक का उपयोग करेगी। केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि इन कोल ब्‍लॉकों के गैसीफिकेशन से उर्वरक पर हर साल दी जाने वाली 55,000 करोड़ रुपए की सालाना सब्सिडी में कमी लाई जा सकेगी।

उन्‍होंने कहा कि हम देश में 40 प्रतिशत कोयला ब्‍लॉक से कोयला नहीं निकाल सकते क्योंकि ये आर्थिक रूप से अव्यवहारिक हैं। हमारा विचार है कि जल्दी ही इन ब्‍लॉक का कोल गैसीफिकेशन के लिए उपयोग किया जाए, जिससे हम यूरिया की उत्‍पादन लागत 8,000 से 10,000 रुपए प्रति टन तक घटा सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में 30 रसायन एवं उर्वरक कारखानों में से चार में यूरिया उत्पादन नाफ्था से होता है, जिसकी लागत 40,000 रुपए प्रति टन के करीब आती है।  शेष 26 गैस का उपयोग करते हैं। इसकी लागत 15 से 20 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) आती है।

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गडकरी ने कहा, हम रसायन उर्वरक के लिए हर साल 55,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी दे रहे हैं। कोल गैसीफिकेशन से उर्वरक की लागत कम होगी। मैं इस मामले को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के समक्ष उठा रहा हूं और हम उर्वरक की लागत में 50 फीसदी कटौती तथा 55,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी के लिए बातचीत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार चीन से यूरिया का आयात कर रही है, जो इसे कोल गैसीफिकेशन से बना रहा है। गडकरी ने कहा कि जहां तक अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य का सवाल है, चाबहार में यूरिया कारखाना लगाने के प्रयास जारी हैं। वहां सरकार बंदरगाह स्थापित कर रही है। उन्होंने कहा, हम ईरान के चाबहार में बंदरगाह स्थापित कर रहे हैं जहां गैस की कीमत एक डॉलर से कम है। अगर हमें गैस मिलती है तब हम वहां यूरिया का उत्पादन कर सकते हैं और उसे देश में ला सकते हैं, क्योंकि चाबहार और कांडला बंदरगाह के बीच दूरी दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी से कम है। गडकरी ने कहा कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए यूरिया की कीमत में कमी लाना महत्वपूर्ण है।

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