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अगले साल भारतीय फार्मा बाजार अपनी स्थिति और मजबूत करने को तैयार

भारत अगले साल फार्मा क्षेत्र में सुरक्षित, दक्ष और गुणवत्ता वाली दवाओं के बल पर अपनी स्थिति मजबूत करने की राह पर है। कई अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।

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नई दिल्ली। भारत अगले साल फार्मा क्षेत्र में सुरक्षित, दक्ष और गुणवत्ता वाली दवाओं के बल पर अपनी स्थिति मजबूत करने की राह पर है। हालांकि सरकार के साथ विश्वास की कमी और नियामकीय बाधाएं उसकी इस यात्रा के रास्ते में अड़चन खड़ी कर सकती हैं। भारत का 32 अरब डॉलर का जेनेरिक आधारित फार्मा उद्योग भारी अवसर देख रहा है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर सुरक्षित और गुणवत्ता वाली दवाओं की मांग बढ़ रही है। विशेष रूप से अमेरिका, यूरोपीय संघ और जापान जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में।

इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव दिलीप जी शाह ने कहा, यह क्षेत्र आगे बढ़ना जारी रखेगा और सुरक्षित, प्रभावी तथा उचित कीमत पर गुणवत्ता वाली दवाओं के स्रोत के रूप में दुनिया के बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनेगा। उन्होंने यह भरोसा वैश्विक स्तर पर भारतीय जेनेरिक दवाओं के सुरक्षित और प्रभावी होने की वजह से स्वीकार्यता बढ़ने के मद्देनजर जमाया है। शाह ने कहा कि विकसित देशों में जनांकिक दबाव की वजह से वे अपना स्वास्थ्य खर्च घटा रहे हैं।

उद्योग संगठन ऑर्गेनाइजेशन आफ फार्मास्युटिकल प्रोड्यूसर्स ऑफ इंडिया (ओपीपीआई) ने क्लिनिकल परीक्षण दिशानिर्देशों को उदार करने और बेहतर विनिर्माण व्यवहार नियमों के उन्नयन के सरकार के कदम की सराहना की है।

ओपीपीआई डीजी कंचना टी के ने कहा कि ये मरीजों की सुरक्षा की दृष्टि से हैं और इससे भारत वैश्विक शोध नक्शे पर आ जाएगा। शाह ने कहा कि यह क्षेत्र घरेलू बाजार में दो प्रमुख मुद्दों का सामना कर रहा है। सरकार और उद्योग के बीच भरोसे की कमी तथा दोनों के बीच अर्थपूर्ण बातचीत न होने जैसे मुद्दे क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं।

उतार-चढ़ाव भरा रहा साल

  • इस साल मार्च में सरकार ने 344 निश्चित खुराक दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था।
  • फार्मा कंपनियों ने इस फैसले को मनमाना, अनुचित बताते हुए इसे दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
  • शाह से इस साल के घटनाक्रमों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि साल के दौरान मूल्य तथा दवा नियामकों के साथ अधिकतम मुकदमेबाजी छाई रही।
  • पिछले एक साल के दौरान 400 से अधिक कंपनियां अपनी शिकायतों के निपटान के लिए अदालत गईं।
  • ये कंपनियां मूल्य तथा दवा नियामक के फैसले को लेकर अदालत गईं।
  • उद्योग को राहत देते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया।
  • हालांकि इस अस्थायी प्रतिबंध की वजह से कई कंपनियों की बिक्री प्रभावित हुई।

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