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Hindi News पैसा बिज़नेस भारतीय धीरे-धीरे ले रहे हैं ज्‍यादा जोखिम, ऊंचा रिटर्न पाने के लिए अपनी बचत को कर रहे हैं डायवर्सीफाई

भारतीय धीरे-धीरे ले रहे हैं ज्‍यादा जोखिम, ऊंचा रिटर्न पाने के लिए अपनी बचत को कर रहे हैं डायवर्सीफाई

पिछले काफी लंबे समय से भारत के मध्‍यम वर्गीय परिवार अपनी बचत को सुरक्षित रखने और तय रिटर्न पाने के लिए सोना और बैंक डिपॉजिट का विकल्‍प चुनते आ रहे हैं।

Taking Risk: भारतीय धीरे-धीरे ले रहे हैं ज्‍यादा जोखिम, ऊंचा रिटर्न पाने के लिए अपनी बचत को कर रहे हैं डायवर्सीफाई- India TV Paisa Taking Risk: भारतीय धीरे-धीरे ले रहे हैं ज्‍यादा जोखिम, ऊंचा रिटर्न पाने के लिए अपनी बचत को कर रहे हैं डायवर्सीफाई

नई दिल्‍ली। पिछले काफी लंबे समय से भारत के मध्‍यम वर्गीय परिवार अपनी बचत को सुरक्षित रखने और तय रिटर्न पाने के लिए सोना और बैंक डिपॉजिट का विकल्‍प चुनते आ रहे हैं। इक्विटी में अत्‍यधिक जोखिम होने की वजह से 2 फीसदी से कम भारतीय परिवार शेयर बाजार में निवेश करते हैं, जबकि अमेरिका में यह संख्‍या 45 फीसदी है। हालांकि, अब धीरे-धीरे इसमें बदलाव आ रहा है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय मध्‍यम वर्गीय परिवार बचत का एक बहुत बड़ा हिस्‍सा अब स्‍टॉक और बांड्स में निवेश कर रहे हैं। भारत की नेशनल डिस्‍पोजेबल इनकम का ग्रॉस फाइनेंशियल सेविंग 2015-16 में पिछले साल की तुलना में बढ़कर 10.8 फीसदी हो गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक ग्रॉस फाइनेंशियल असेट में वृद्धि प्रमुख वजह लघु बचत है और इक्विटी व म्‍यूचुअल फंड, पब्लिक सेक्‍टर यूनिट के टैक्‍स फ्री बांड में निवेश बढ़ा है। पिछले कुछ सालों में बचत को करेंसी या नकदी के रूप में रखने का चलन बढ़ा है, बकि पेंशन और प्रोवीडेंट फंड में थोड़ी कमी आई है। निवेश पैटर्न में आए बदलावों को देखने के लिए यहां कुछ चार्ट पर नजर डालिए:

जोखिम उठाने के लिए तैयार

यह बदलाव दिखाते हैं कि भारतीय अब निवेश विकल्‍पों के प्रति ज्‍यादा जागरुक हैं। इन्‍वेस्‍टर एजुकेशन और फाइनेंशियल लिट्रेसी के लिए काम करने वाली कंपनी मनीशिक्षा के को-फाउंडर शुभा गणेश कहते हैं कि भारतीय इन्‍वेस्‍टर्स की जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है। वे सिप (सिस्‍टेमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान) द्वारा म्‍यूचुअल फंड के जरिये स्‍टॉक में निवेश कर रहे हैं। गणेश के मुताबिक इसके परिणामस्‍वरूप इक्विटी म्‍यूचुअल फंड में निवेश बढ़कर ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया है।

वेल्‍थ मैनेजमेंट सर्विस देने वाली Transcend Consulting के डायरेक्‍टर कार्तिक झावेरी कहते हैं कि अब लोग यह धीरे-धीरे समझने लगे हैं कि बैंक डिपॉजिट पर मिलने वाला रिटर्न बहुत कम है, जबकि अन्‍य विकल्‍प से उन्‍हें ज्‍यादा रिटर्न मिल रहा है। जब ब्‍याज दरों में गिरावट आती है तब यह ज्‍यादा होता है। बैंकों के फि‍क्‍स्‍ड डिपोजिट पर वर्तमान में इंटरेस्‍ट रेट 5.5 फीसदी से 8.75 फीसदी के बीच है। इसकी तुलना में इक्विटी मार्केट के प्रदर्शन के आधार पर स्‍टॉक पर रिटर्न बहुत ज्‍यादा है और यह शॉर्ट-टर्म लिक्‍वीडिटी भी प्रदान करता है। भारत के शेयर बाजारों के नई ऊंचाईयों पर पहुंचने की उम्‍मीद है और यह कतई आश्‍चर्यजनक नहीं है कि रिटेल इन्‍वेस्‍टर्स भी इस तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं।

Source: Quartz

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