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Jabong को खरीदने के लिए आए बड़े खरीदार, इन तीन कारणों से ये बना हॉट फेवरेट

फैशन पोर्टल Jabong अचानक हॉट ई-कॉमर्स प्रॉपर्टी बन गई है और बड़े डिजिटल स्टार्टअप्स तथा बड़ी कंपनियां इसका अधिग्रहन करने के लिए बढ़-चढ़कर बोली लगा रही हैं।

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नई दिल्ली। चार साल पुरानी फैशन पोर्टल Jabong अचानक हॉट ई-कॉमर्स प्रॉपर्टी बन गई है और सबसे बड़े डिजिटल स्टार्टअप्स तथा बड़ी कंपनियां इसका अधिग्रहन करने के लिए बढ़-चढ़कर बोली लगा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक का सौदा 25-30 करोड़ डॉलर होने की संभावना है। इसके लिए Jabong खरीदारों से लगातार बात-चीत कर रही है। खीरदारों के रेस में अलीबाबा, मिंत्रा, आदित्य बिड़ला ग्रुप की ई-कॉमर्स वेंचर एबॉफ और फ्यूचर ग्रुप जैसी कंपनियां शामिल है। गौर करने वाली बात यह है कि कीमत ज्यादा होने की वजह से 2014 में अमेजन, जबांग डील से पीछे हट गई थी। लगभग दो महीने पहले Jabong ने अपने वैल्यूएशन में 10 करोड़ डॉलर की कटौती की है। इसके बावजूद फैशन पोर्टल को कोई खरीदारी नहीं मिल रहा था। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि देश और दुनिया की बड़ी दिग्गज कंपनी जबांग को हाथों-हाथ खरीदने को तैयार हैं।

Jabong के एक एग्जिक्यूटिव ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों के दौरान इन सभी कंपनियों से बात की है। ‘ उन्होंने बताया, ‘अभी तक इनमें से कोई बातचीत फाइनल दौर में नहीं पहुंची है, लेकिन सौदा जबांग की सालाना सेल्स से डबल प्राइस पर हो सकता है। डील के 6 महीनों में पूरी होने की उम्मीद है।’ कुछ सूत्रों ने बताया कि रॉकेट इंटरनेट और किनेविक ने एग्जिक्यूटिव्स इस सौदे के लिए विदेश से भारत आए हैं। कंपनी को 2012 में जर्मन इनक्यूबेटर रॉकेट इंटरनेट के तहत शुरू किया गया था। स्वीडन की कंपनी किनेविक की Jabong की पैरेंट फर्म ग्लोबल फैशन ग्रुप में बड़ी हिस्सेदारी है।

ये हैं वह तीन वजह, जिसके कारण निवेशक हो रहे हैं आकर्षित 

Jabong वास्तव में कमा रही है मुनाफा!

जनवरी-मार्च 2016 के दौरान, जबांग की कुल बिक्री 14 फीसदी बढ़कर 3.62 करोड़ डॉलर (करीब 238.92 करोड़ रुपए) पहुंच गई। इसकी वजह से कंपनी को 2 लाख डॉलर (करीब 1.32 करोड़ रुपए) का मुनाफा हुआ। यह आंकड़ा आपको छोटा लगेगा। लेकिन देश की तीन बड़ी कंपनियों के नुकसान पर नजर डालेंगे तो इसकी वैल्यू का आपको अंदाजा लग जाएगा। बड़ी ऑनलाइन कंपनियों ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील का फाइनेंशिल इयर 2015 में लॉस बढ़कर 7.7 करोड़ डॉलर (5,052 करोड़ रुपए) हो गया। पिछले साल जबांग ने 1.6 करोड़ डॉलर रेवेन्यु इक्ट्ठा करके सबको चौंका दिया था, क्योंकि 2014 के मुकाबले यह दोगुना हो चला था।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में FDI की मंजूरी

केंद्र सरकार ने हाल के दिनों में ऑनलाइन बाजार में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) को मंजूरी दी है। इसकी वजह से विशेष रूप से अलीबाबा और मिंत्रा जबांग को खरीदना चाहती हैं। मिंत्रा मुकाबला सीधे जबांग से है और दोनों एक ही कैटेगरी के सामान बेचते हैं। वहीं जबांग एक प्रतिष्ठित ब्रांड बन गई है और कपड़े की ऑनलाइन खरीदारी तेजी से बढ़ रही है। इसलिए अलीबाबा के लिए यह फायदा का सौदा साबित हो सकता है।

स्ट्रांग ब्रांड वैल्यू; ऑफलाइन रिटेल का मिश्रण

जबांग सही वक्त पर सही लोगों को आकर्षित करने में सफल रही है। उदाहरण के तौर पर 2015 में बेनेटन इंडिया के प्रबंध निदेशक संजीव मोहंती सीईओ बने। वहीं एक्स-ईबे एग्जीक्यूटिव मुर्लीकृष्षण ने बतौर सीओओ कंपनी ज्वाइन किया। अपनी रचनात्मक मार्किंटग और ब्रांड वैल्यू के चलते जबांग ऐसी दिग्‍गज ऑफलाइन रिटेल कंपनियों की पसंद बन चुका है, जो कि अब ईकॉमर्स मार्केट में उतरने की तैयारी में हैं। यही कारण है कि किशोर बियानी का फ्यूचर ग्रुप और आदित्‍य बिड़ला समूह की कंपनी Abof जबांग को खरीदने में दिलचस्‍पी दिखा रहे हैं।

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