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Hindi News पैसा बिज़नेस श्रम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में आई कमी : जेएम फाइनेंशियल

श्रम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में आई कमी : जेएम फाइनेंशियल

उच्च आर्थिक वृद्धि के बावजूद अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन नहीं हो रहा है। जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट में श्रम विभाग के हवाले से यह बात कही गई है।

श्रम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में आई कमी : जेएम फाइनेंशियल- India TV Paisa श्रम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में आई कमी : जेएम फाइनेंशियल

मुंबई। उच्च आर्थिक वृद्धि के बावजूद अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन नहीं हो रहा है। इस तरह की आलोचनाओं को सरकार द्वारा दरकिनार किए जाने के बावजूद श्रम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि रोजगार सृजन में गिरावट आई है। फाइनेंशियल ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। ब्रोकरेज फर्म द्वारा जुटाए गए श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक डिग्री धारक युवाओं की संख्या के मुकाबले रोजगार के नए अवसर पैदा होने का अनुपात पिछले सालों के मुकाबले बिगड़ा है। रोजगार के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक वित्‍त वर्ष 2016-17 के शुरुआती नौ माह के दौरान बैंकों की नौकरी को छोड़कर एक लाख 90 हजार रोजगार ही पैदा हुए जबकि पिछले वित्‍त वर्ष में 88 लाख युवाओं ने स्नातक की डिग्री हासिल की। इस तरह डिग्री धारकों और पैदा हुए रोजगार के आंकड़े में भारी अंतर सामने आया।

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जेएम फाइनेंशियल की मैं अपनी डिग्री का क्या करूं नामक रिपोर्ट में कहा गया है,

जब स्नातकों की संख्या पैदा होने वाले रोजगार की संख्या से कहीं ज्यादा हो तो स्पष्ट रूप से श्रमिकों की मांग और उनकी आपूर्ति के बीच का अंतर कहीं ज्यादा हो जाता है।

उल्लेखनीय है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक के एक कार्यक्रम में देश की आर्थिक वृद्धि को रोजगार विहीन बताए जाने के कुछ अर्थशास्त्रियों और विपक्ष की आलोचना को मात्र कल्पना बताया और दावा किया कि 7 से 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि से श्रम बाजार को काफी फायदा हुआ है। उन्होंने कहा था कि यदि 7 से 8 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो यह ऐसा नहीं हो सकता कि श्रम बाजार को इससे कोई फायदा ही नहीं हो रहा है। इस तरह की आर्थिक वृद्धि रोजगार पैदा किए बिना नहीं हो सकती है। रोजगार का सृजन हो रहा है। हालांकि, उन्होंने इसके साथ कोई आंकड़े नहीं बताए, केवल इतना कहा कि बेरोजगारी की दर तीन प्रतिशत के आसपास है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि तिमाही रोजगार सर्वेक्षण और रिजर्व बैंक के बैंकिंग रोजगार के आंकड़ों के मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद में 65 प्रतिशत से अधिक का योगदान करने वाले 9 श्रम गहन क्षेत्रों में वित्‍त वर्ष 2010-11 से लेकर 2012-13 की अवधि में कुल मिलाकर 25 लाख रोजगार के अवसर पैदा हुए जबकि इस अवधि के दौरान 2.27 करोड़ लोगों ने उच्च शिक्षा क्षेत्र में डिग्री हासिल की। इस लिहाज से डिग्री हासिल करने वालों की संख्या और पैदा हुए रोजगार के अवसरों के हिसाब से प्रत्येक एक रोजगार के लिए नौ डिग्रीधारक छात्र का अनुपात रहा।

रिपोर्ट के अनुसार वहीं इसके बाद के वर्ष में वित्‍त वर्ष 2012-13 से लेकर 2014-15 की अवधि में यह आंकड़ा दस लाख रोजगार और 2.59 डिग्रीधारक का रहा है। इस लिहाज से एक रोजगार के समक्ष 27 डिग्रीधारक का अनुपात रहा है। यह अनुपात पिछले आंकड़ों के मुकाबले तीन गुना बढ़ गया। रोजगार सृजन के ताजा तिमाही आंकड़ों के मुताबिक वित्‍त वर्ष 2016-17 की पहले नौ माह के दौरान बैंक रोजगार को छोड़कर केवल 1.90 लाख रोजगार ही पैदा हुए जबकि इससे पिछले वर्ष में 88 लाख युवा उच्च शिक्षा पास करके निकले।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजगार सृजन के मुकाबले उपलब्ध श्रमबल की संख्या कहीं ज्यादा हो रही है। विशेष तौर से बड़ी चिंता इस बात को लेकर है कि कपड़ा, आईटी और बीपीओ, बैंक जैसे क्षेत्र जो कि नए रोजगारों में 90 प्रतिशत तक योगदान करते आए हैं उनमें इस समय सुस्ती के संकेत हैं।

रिपोर्ट के अनुसार इस स्थिति के पीछे जो मुख्य वजह रही है वह यह है कि निजी क्षेत्र जो वर्ष 2000 से प्रमुख रूप से रोजगार उपलब्ध कराने वाला क्षेत्र रहा है, वह वास्तव में काफी धीमा पड़ गया है। यही वजह है कि संगठित क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का अनुपात पहले के मुकाबले काफी खराब हुआ है।

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