A
Hindi News पैसा बिज़नेस अनिवार्य गोल्ड हॉलमार्किंग को लागू करने की समय सीमा जून 2021 तक बढ़ी

अनिवार्य गोल्ड हॉलमार्किंग को लागू करने की समय सीमा जून 2021 तक बढ़ी

गोल्ड ज्वैलरी और गोल्ड आर्टिफैक्ट की हॉलमार्किंग के लिए समयसीमा को बढ़ा कर पहली जून 2021 कर दिया है। पहले इसके लिए 15 जनवरी 2021 की समयसीमा दी गई थी। नियमों के मुताबिक तय सीमा के बाद से ज्वैलर्स सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट की हॉलमार्क ज्वैलरी ही बेच सकेंगे

<p>गोल्ड हॉलमार्किंग...- India TV Paisa Image Source : FILE गोल्ड हॉलमार्किंग नियमों की समयसीमा बढ़ी

नई दिल्ली। गोल्ड हॉलमार्किंग की शर्तों को मानने के लिए अब ज्वैलर्स को कुछ और मोहलत मिल गई है। सरकार ने गोल्ड ज्वैलरी और गोल्ड आर्टिफैक्ट की हॉलमार्किंग के लिए समयसीमा को बढ़ा कर पहली जून 2021 कर दिया है। पहले इसके लिए 15 जनवरी 2021 की समयसीमा दी गई थी। आज सीमा बढ़ाने के लिए नोटिफिकेशन जारी हो गया। नियमों के मुताबिक तय सीमा के बाद सोने की ज्वैलरी के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य हो जाएगी। 

क्या है नया नियम
नियमों के मुताबिक तय सीमा के बाद से ज्वैलर्स सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट की हॉलमार्क ज्वैलरी ही बेच सकेंगे। अगर कोई ज्वैलर नियमों को तोड़ता हुआ पाया जाता है तो उस पर जुर्माना लग सकता है या फिर सजा भी हो सकती है। ज्वैलर्स को हॉलमॉर्किंग के लिए इस अवधि के दौरान ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS)में खुद को रजिस्टर करवाना होगा। हॉलमार्किंग सोने में शुद्धता का प्रतीक है।  ग्राहकों से सोने की बिक्री में होने वाली जालसाजी को रोकने के लिए ये नियम लाया गया है। अधिकतर मामलों में कम कैरेट के सोने को ज्यादा कैरेट की कीमत पर बेचने की शिकायत मिलती है। हर कैरेट में सोने की मात्रा अलग अलग होती है, ऐसे में हॉलमार्किंग से पचा चल सकेगा कि किसी आभूषण में ग्राहक को वास्तव में कितना सोना मिल रहा है।

क्यों आगे बढ़ी समयसीमा
नियमों के मुताबिक ज्वैलर्स को बीआईएस में रजिस्टर होने के लिए एक साल का वक्त दिया गया था। हालांकि कोरोना संकट और लॉकडाउन को देखते हुए ज्वैलर्स ने इस समयअवधि को बढ़ाने की मांग की थी। ज्वैलर्स की मांग पर ही सरकार ने समय सीमा को बढ़ाने का फैसला लिया है

क्या है हॉलमार्क
हॉलमार्क किसी वस्तु की शुद्धता का प्रतीक है, गोल्ड हॉलमार्किंग से पता चलता है कि आभूषण में कितना सोना और कितनी अन्य धातुएं मिली हैं. इससे आभूषण के कैरेट का पता चलता है और इससे ही आभूषण की कीमत भी तय होती है। हॉलमार्क आभूषण पर लगा एक चिन्ह होता है, जिसमें जरूरी कई जानकारियां रहती हैं, जिसमें केंद्र, सोने की शुद्धता, ज्वैलरी निर्माण का साल दिया होता है। भारत में फिलहाल 234 जिलों में 931 हॉलमार्किंग केंद्र हैं। एक अनुमान के मुताबिक 5 लाख ज्वैलर्स हॉलमार्किंग के नए नियमों के दायरे में आएंगे।  

Latest Business News