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Hindi News पैसा बिज़नेस मारुति सुजुकी इंडिया कर रही है शेयर-विभाजन पर विचार, निवेशकों को मिलेगा ज्‍यादा फायदा

मारुति सुजुकी इंडिया कर रही है शेयर-विभाजन पर विचार, निवेशकों को मिलेगा ज्‍यादा फायदा

शेयरधारकों की ओर से शेयर-विभाजन की मांग के बीच देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी ने कहा कि वह इस मामले को कंपनी के निदेशक मंडल के सामने रखेगी।

मारुति सुजुकी इंडिया कर रही है शेयर-विभाजन पर विचार, निवेशकों को मिलेगा ज्‍यादा फायदा- India TV Paisa मारुति सुजुकी इंडिया कर रही है शेयर-विभाजन पर विचार, निवेशकों को मिलेगा ज्‍यादा फायदा

नई दिल्‍ली। शेयरधारकों की ओर से शेयर-विभाजन की मांग के बीच देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने कहा कि वह इस मामले को कंपनी के निदेशक मंडल के सामने रखेगी। एमएसआई के अध्यक्ष आर सी भार्गव ने यहां सालाना आम बैठक में शेयरधारकों के प्रश्नों के जवाब में कहा, मुझे लगता है कि सभी शेयरधारकों की शेयर विभाजन की मांग है और निश्चित तौर पर मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि हम इस मामले को निदेशक मंडल के सामने रखेंगे।

कंपनी के शेयरधारक शेयर विभाजन की यह कहते हुए मांग कर रहे हैं कि ऐसी पहल से मारुति सुजुकी इंडिया के शेयरों में खुदरा भागीदारी बढ़ेगी। भार्गव ने कहा कि कंपनी के निदेशक मंडल ने चालू वित्त वर्ष के लिए 35 रुपए प्रति शेयर का लाभांश देने की घोषणा की है, जो पिछले साल के 25 रुपए से अधिक है। येन में उतार-चढ़ाव और कंपनी पर इसके असर के बारे में शेयरधारकों के प्रश्नों का जवाब देते हुए भार्गव ने कहा कि एमएसआई आयातित कल-पुर्जों के उत्पादन के स्थानीकरण के असर से निपटने पर काम कर रही है।

उन्होंने कहा, हम येन के उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण नहीं कर सकते लेकिन हेजिंग के जरिए और आंशिक तौर पर आयात सामग्री कम कर इसके असर से निपट सकते हैं। हम ये चीजें कर रहे हैं। इस साल कंपनी अनुसंधान और विकास पर पूंजी व्यय के संबंध में भार्गव ने कहा कि एमएसआई चालू वर्ष में 900 करोड़ रुपए का निवेश करेगी।

उन्होंने कहा, इस साल के लिए अनुसंधान एवं विकास पर पूंजीव्यय का बजट 900 करोड़ रुपए है। यह अनुसंधान एवं विकास केंद्र के अतिरिक्त है, जो रोहतक में लगभग पूरा हो गया है। रोहतक को मिलाकर पूंजीव्यय 2,000 करोड़ रुपए से अधिक है। मूल कंपनी सुजुकी मोटर कॉर्प को रॉयल्टी के भुगतान के संबंध में भार्गव ने कहा कि कुल बिक्री के मुकाबले पांच फीसदी के आधार पर इसका भुगतान किया जा रहा है।

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