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Hindi News पैसा बिज़नेस Amazon, Flipkart जैसी e-commerce कंपनियों को भारत में नहीं देना होगा डिजिटल टैक्‍स, सरकार ने कही ये बात

Amazon, Flipkart जैसी e-commerce कंपनियों को भारत में नहीं देना होगा डिजिटल टैक्‍स, सरकार ने कही ये बात

डिजिटल टैक्स को अप्रैल, 2020 में पेश किया गया था। यह केवल उन गैर-भारतीय कंपनियों के लिए है, जिनका वार्षिक राजस्व 2 करोड़ रुपये से अधिक है और जो भारतीयों को वस्तुओं एवं सेवाओं की ऑनलाइन बिक्री करती हैं।

No digital tax if goods, services sold via Indian arm of foreign e-commerce players- India TV Paisa Image Source : FILE PHOTO No digital tax if goods, services sold via Indian arm of foreign e-commerce players

नई दिल्‍ली। एक समान कार्य क्षेत्र उपलब्‍ध कराने के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि उन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2 प्रतिशत का डिजिटल टैक्‍स नहीं लगाया जाएगा, जो अपनी भारतीय इकाई के जरिये भारत में वस्‍तुओं और सेवाओं की बिक्री करती हैं। वित्‍त विधेयक 2021 में किए गए संशोधन से यह स्‍पष्‍ट हो गया है कि विदेशी ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म को 2 प्रतिशत का बराबरी शुल्‍क नहीं देना होगा यदि उनका यहां कोई स्‍थायी उद्यम है या वे यहां किसी प्रकार का इनकम टैक्‍स दे रहे हैं। हालांकि, उन सभी विदेशी कंपनियों को डिजिटल टैक्‍स का भुगतान करना होगा, जो यहां किसी भी प्रकार के टैक्‍स का भुगतान नहीं कर रही हैं।

डिजिटल टैक्‍स को अप्रैल, 2020 में पेश किया गया था। यह केवल उन गैर-भारतीय कंपनियों के लिए है, जिनका वार्षिक राजस्‍व 2 करोड़ रुपये से अधिक है और जो भारतीयों को वस्‍तुओं एवं सेवाओं की ऑनलाइन बिक्री करती हैं।  

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में वित्‍त विधेयक 2021 पर चर्चा के दौरान कहा कि सरकार के संशोधन के जरिये, मैं यह स्‍पष्‍ट करना चाहती हूं कि डिजिटल टैक्‍स उन ई-कॉमर्स कंपनियों पर लागू नहीं होगा, जिन्‍होंने भारत में अपनी सहयोगी इकाई की स्‍थापना की है। उन्‍होंने कहा कि यह सरकार डिजिटल लेनदेन के पक्ष में है और हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिससे इसे नुकसान पहुंचे।

उन्‍होंने कहा कि बराबरी शुल्‍क एक तरह का टैक्‍स है, जिसका लक्ष्‍य भारतीय उद्योगों, जो भारत में टैक्‍स देते हैं और विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों, जो भारत में कारोबार करती हैं लेकिन कोई भी इनकम टैक्‍स नहीं देती हैं, के लिए एक समान क्षेत्र उपलब्‍ध कराना है। यह शुल्‍क एक विवादित मुद्दा बन गया है, जब अमेरिका ने इसे अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभाव पूर्ण कदम बताया।

अपने कदम का बचाव करते हुए भारत ने कहा था कि इस शुल्‍क का उद्देश्‍य सभी हितधारकों को डिजिटल सेवाओं और उसके फलस्‍वरूप कर देनदारियों के लिए भुगतान के वर्णन के संबंध में अधिक स्‍पष्‍टता, निश्चितता और पूर्वानुमेयता प्रदान करना है, ताकि इन मामलों में कर विवाद सहित अनुपालन और प्रशासन की लागत को कम किया जा सके।

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