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Hindi News पैसा बिज़नेस कतर ने भारत के लिए नेचुरल गैस कीमत की आधी, 12,000 करोड़ रुपए का जुर्माना भी हटाया

कतर ने भारत के लिए नेचुरल गैस कीमत की आधी, 12,000 करोड़ रुपए का जुर्माना भी हटाया

कतर ने भारत को दीर्घकालीन अनुबंध पर बेची जाने वाली गैस की कीमत कम करने पर सहमति जताई है। इससे भारत को करीब 6 अरब डॉलर कम कम भुगतान करना होगा।

कतर ने भारत के लिए नेचुरल गैस कीमत की आधी, 12,000 करोड़ रुपए का जुर्माना भी हटाया- India TV Paisa कतर ने भारत के लिए नेचुरल गैस कीमत की आधी, 12,000 करोड़ रुपए का जुर्माना भी हटाया

नई दिल्‍ली। कतर ने भारत को दीर्घकालीन अनुबंध पर बेची जाने वाली गैस की कीमत कम करने पर सहमति जताई है। इससे भारत को करीब 6 अरब डॉलर कम कम भुगतान करना होगा। साथ ही कतर ने 2015 में कम उठाव को लेकर 12,000 करोड़ रुपए का जुर्माना भी खत्म करने का फैसला किया है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस के दाम में आई भारी गिरावट को देखते हुए दोनों देशों के बीच दाम कम करने पर सहमति बनी है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी गैस आयातक कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) ने कतर के रासगैस के साथ संशोधित अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है। संशोधित फॉर्मूले के अनुसार गैस की कीमत घटकर 6 से 7 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट रह जाएगी, जो फिलहाल 12-13 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू है।

प्रधान ने कहा कि संशोधित फॉर्मूला भारत द्वारा रासगैस से दीर्घकालीन अनुबंध के तहत खरीदे जाने वाली 75 लाख टन सालाना एलएनजी पर लागू होगा। यह अनुबंध अप्रैल 2028 में खत्म होगा।  संशोधित फॉर्मूले के मुताबिक गैस की कीमत अब ब्रेंट क्रूड तेल के तीन महीने के औसत दाम पर आधारित होगी। यह जापान से आयातित कच्चे तेल के पांच साल के औसत भाव पर आधारित मूल्य का स्थान लेगा। लेकिन इसमें शर्त यह है कि पीएलएल सालाना 10 लाख टन अतिरिक्त एलएनजी खरीदेगी।

तीन महीने का औसत ब्रेंट क्रूड का भाव जहां 44 डॉलर प्रति बैरल पड़ रहा है, वहीं पांच साल के लिए जापान क्रूड कॉकटेल का पांच साल का औसत मूल्य 30 सितंबर के अंत में 94 डॉलर था। प्रधान ने कहा कि साथ ही रासगैस करीब 32 फीसदी गैस कम उठाने को लेकर लगाए गए 12,000 करोड़ रुपए के जुर्माने की भी मांग नहीं करेगी। वर्ष 2015 में जितनी कम गैस उठाई गई, उसका मूल्य 12,000 करोड़ रुपए है और संशोधित मूल्य फॉर्मूले के मुताबिक खरीदार को इससे तीन साल में 2.5 अरब डॉलर की बचत होगी।

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