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आर्थिक मंदी की आहट को अब पहचानना हुआ आसान, ब्रिटेन में डेवलप हुआ नया सिस्टम

दुनिया में किसी भी देश में आर्थिक मंदी के खतरे का अनुमान लगाना अब आसान हो गया है। ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ताओं ने नया सिस्टम बनाया है।

New Alert System: आर्थिक मंदी की आहट को अब पहचानना हुआ आसान, ब्रिटेन में डेवलप हुआ नया सिस्टम- India TV Paisa New Alert System: आर्थिक मंदी की आहट को अब पहचानना हुआ आसान, ब्रिटेन में डेवलप हुआ नया सिस्टम

लंदन। ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने अर्थमिति पर आधारित एक नई प्रणाली (सिस्टम) विकसित की है जिससे जल्दी ही दुनिया में किसी भी देश में आर्थिक नीति नियामक वित्तीय संकट (आर्थिक मंदी) के खतरे का अनुमान लगा कर उससे बचाव या उसके प्रभाव कम करने के उपाय कर सकेंगे।

विश्वविद्याालय के अर्थशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता फ्रैंक स्ट्रॉबेल ने कहा, हमने एक नए तरीके की अग्रिम चेतावनी सिस्टम विकसित किया है जो सरकारों के कर्ज संकट के बारे में पहले से अधिक सटीक पूर्वानुमान करने में सहायक होगी।

भारत और चीन पर हो चुका है इसका टेस्ट

  • इस सिस्टमका भारत और चीन सहित विश्व के अनेक क्षेत्रों में परीक्षण किया जा चुका है। इस सिस्टम को हाल में ही विकसित दो अन्य प्रणालियों से बेहतर बताया जा रहा है। अर्थमिति में आर्थिक आंकड़ों सांख्यिकीय पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • तीनों प्रणालियों में, नई और पहले विकसित दो, बहुसांकेतिक तर्कशास्त्रीय प्रति-पगमन यानी विभिन्न स्वतंत्र और निर्भर चरों के बीच संबंधों के सांख्यिकीय विश्लेषण की पद्धतियों का प्रयोग कर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
  • बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने देश पर रिण के भार, विदेशी व्यापार, घरेलू आर्थिक वृद्धि और सरकार के व्यय जैसे विभिन्न संकेतकों के तर्कशास्त्रीय प्रति-पगमन विश्लेषण के लिए बायनरी लॉगिट मॉडल का प्रयोग कर निश्चयात्मक निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है।

पहले से बेहतर है ये नया सिस्टम

  • अनुसंधानकार्ताओं ने इस नए सिस्टम को पहले के सिस्टम से बहुत अच्छा बताया है। पहले से अपनायी जा रही प्रणालियां 2008 के वैश्विक रिण संकट को भांपने में नाकाम रही थीं।
  • उस संकट के चलते यूनान, पुर्तगाल, आयरलैंड और स्पेन जैसे कई यूरोपीय देशों की रिण शोधन क्षमता खत्म होने से उन्हें सहायता देने पड़ी थी।

विकसित देशों को रखा गया है अलग

  • नए सिस्टम में विकसित और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं में भेद का भी ध्यान रखा गया है।

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