A
Hindi News पैसा बिज़नेस कृषि, ग्रामीण मजदूरों के लिये मई में खुदरा महंगाई दर घटी, आगे और सुधार की संभावना

कृषि, ग्रामीण मजदूरों के लिये मई में खुदरा महंगाई दर घटी, आगे और सुधार की संभावना

मई के दौरान खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़त दर्ज

<p>Retail Inflation for rural workers eases</p>- India TV Paisa Image Source : GOOGLE Retail Inflation for rural workers eases

नई दिल्ली। कृषि और ग्रामीण मजदूरों के लिये खुदरा मुद्रास्फीति इस साल मई में पिछले माह के मुकाबले मामूली रूप से घटकर क्रमश: 8.4 प्रतिशत और 8.12 प्रतिशत रही। श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में यह कहा। बयान के अनुसार सीपीआई-एएल (कृषि श्रमिक) और सीपीआई-आरएल (ग्रामीण श्रमिक) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मई 2020 में घटकर क्रमश: 8.40 प्रतिशत और 8.12 प्रतिशत रही। वहीं अप्रैल में यह क्रमश: 8.80 प्रतिशत और 8.52 प्रतिशत रही थी।

 

सीपीआई-एल और सीपीआई-आरएल में यदि केवल खाद्य सूचकांक आधारित महंगाई की बात की जाये तो यह दर क्रमश: 10.40 प्रतिशत और 10.21 प्रतिशत रही। कृषि श्रमिकों और ग्रामीण मजदूरों के लिये अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आंकड़ा (आधार वर्ष: 1986-87=100) इस साल मई में क्रमश: 5 अंक और 6 अंक बढ़कर 1019 और 1025 रहा। कृषि श्रमिकों और ग्रामीण मजदूरों के सामान्य मूल्य सूचकांक में वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुएं रहीं जिनमें क्रमश: 4.44 प्रतिशत और 4.70 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मुख्य रूप से चावल, अरहर, मसूर, मूंगफली तेल, बकरे का मांस, कुक्कुट, सब्जियों तथा फलों आदि के दाम में बढ़ोतरी से खाद्य वस्तुएं के दाम बढ़े। सूचकांक में बढ़ोतरी/कमी राज्य-दर-राज्य अलग-अलग है।

कृषि श्रमिकों के मामले में 14 राज्यों में 2 से 19 अंक की वृद्धि हुई है जबकि पांच राज्यों में 1 से 7 अंक की गिरावट आयी है। वहीं राजस्थान में यह स्थिर रहा। तमिलनाडु 1,208 अंक के साथ सूचकांक सारणी में शीर्ष पर रहा जबकि हिमाचल पदेश 788 अंक के साथ निचले पायदान पर रहा। ग्रामीण श्रमिकों के मामले में 15 राज्यों में 1 से 18 अंक की वृद्धि हुई जबकि पांच राज्यों में 1 से 7 अंक की गिरावट आयी। तमिलनाडु 1,194 अंक के साथ सूचकांक में पहले स्थान पर रहा। वहीं हिमाचल प्रदेश 838 अंक के साथ निचले पायदान पर रहा। राज्यों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में कृषि श्रमिकों और ग्रामीण मजदूरों के मामले में सर्वाधिक क्रमश: 19 अंक और 18 अंक की बढ़ोतरी कर्नाटक में हुई। इसका मुख्य कारण चावल, ज्वार रागी, बकरे का मांस, कुक्कुट, सब्जी और फल, बीड़ी के दाम तथा नाई के शुल्क आदि में वृद्धि है।

वहीं दूसरी तरफ कृषि श्रमिकों और ग्रामीण मजदूरों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में सर्वाधिक कमी बिहार में दर्ज की गयी। वहां दोनों में 7-7 अंक की गिरावट आयी। इसका मुख्य कारण मक्का, प्याज, फल एवं सब्जी आदि के दाम में कमी है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि श्रम ब्यूरो इस चुनौतीपूर्ण समय में खुदरा मुद्रास्फीति और अन्य आंकड़े जारी कर रहा है, यह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ने के साथ मुद्रास्फीति आंकड़ा सुधरने की संभावना है। श्रम ब्यूरो, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की इकाई है। वह 20 राज्यों में फैले 600 नमूने गांवों से आंकड़े लेकर हर महीने कृषि श्रमिकों और ग्रामीण मजदूरों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आंकड़ा संग्रह करता है। ये आंकड़े व्यक्तिगत रूप से जाकर एकत्रित किये जाते हैं।

Latest Business News