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भारतीय स्टेट बैंक ने ऋण पर ब्याज दर 0.05 फीसदी घटाई

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने आज कोष की सीमांत लागत के आधार पर अपने ऋण की दर 0.05 फीसदी घटाकर 9.15 फीसदी कर दी। नयी दरें एक मई से लागू होंगी।

SBI ने ऋण पर ब्याज दर 0.05 फीसदी घटाई, एलएंडटी फाइनेंस ने 500 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्त किया- India TV Paisa SBI ने ऋण पर ब्याज दर 0.05 फीसदी घटाई, एलएंडटी फाइनेंस ने 500 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्त किया

मुंबई। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने कोष की सीमांत लागत के आधार पर अपने ऋण की दर 0.05 फीसदी घटाकर 9.15 कर दी। बैंक ने एक विग्यप्ति में बताया कि ये नयी न्यूनतम दरें एक मई से प्रभावी होंगी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की कटौती किए जाने के बाद पिछले महीने बैंक ने कोष की सीमांत लागत के आधार पर ऋण की दर को 9.20 फीसदी तय की थी।

इस कटौती के बाद महिलाओं को गृह ऋण पर 9.35 फीसदी ब्याज देना होगा जबकि अन्य के लिए यह दर 9.40 फीसदी होगी। इसके अलावा बैंक का वाहन ऋण भी 0.05 फीसदी सस्ता हो गया है। बैंक ने अपनी वाहन ऋण, अनिवासी भारतीय वाहन ऋण, कॉम्बो ऋण और लॉयल्टी वाहन ऋण योजनाओं पर 500 रुपए का प्रोसेसिंग शुल्क लगाया है जो 30 अप्रैल तक के लिए माफ कर दिया गया था।

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एलएंडटी फाइनेंस ने खराब प्रदर्शन के लिए 500 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्त किया

प्रमुख गैर बैंकिंग रिणदाता एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स ने खराब प्रदर्शन की वजह से अपने 500 से अधिक कर्मचारियों को पिंक स्लिप थमा दी है यानी उन्हें बर्खास्त कर दिया है। कंपनी की ग्रामीण बाजारों में प्रमुख रूप से उपस्थिति है, लेकिन दबाव की वजह से वह अपनी पहुंच को घटा रही है।

कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वाई एम देवस्थली ने इसे विभिन्न क्षेत्रों से कर्मचारियों को उनके खराब प्रदर्शन की वजह से अलग करना बताया।उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में और दबाव के लिए चेताते हुए कहा कि अगले पांच से छह महीने में कृषि क्षेत्र में कुछ दबाव देखने को मिल सकता है। इस साल की दूसरी छमाही में ही स्थिति में कुछ सुधार होगा, वह भी तब जब मानसून सामान्य रहता है। देवस्थली ने कहा, हमने यह किया है कि उनके प्रदर्शन की समीक्षा की और उसके आधार पर विभिन्न क्षेत्रों से 500 से अधिक कर्मचारियों को हटाया है। इसमें खुदरा, ग्रामीण और अन्य क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने जिक्र किया कि लगातार मानसून कमजोर रहने की वजह से ग्रामीण क्षेत्र काफी दबाव झेल रहा है। देश के कई इलाकों में सूखे की वजह से किसान कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं। ट्रैक्टरों की मांग भी घट रही है।

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