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स्मार्ट शहरों के लिए स्मार्ट तरीके से सोचने की आवश्यकता, भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए विकास

केंद्रीय बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि स्मार्ट शहरों का विकास भारतीय संदर्भों और जरूरतों के हिसाब से किए जाने की जरूरत है।

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नई दिल्ली। केंद्रीय बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि स्मार्ट शहरों का विकास भारतीय संदर्भों और जरूरतों के हिसाब से किए जाने की जरूरत है, जबकि टेक्‍नोलॉजी को कम लागत का बनाने के लिए इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाना चाहिए। गोयल ने स्मार्ट सिटीज इंडिया एक्सपो को संबोधित करते हुए कहा कि स्मार्ट शहरों या नगरों का विकास स्मार्ट तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्मार्ट शहर की अवधारणा व्यावहारिक, करने योग्य तथा सस्ती होनी चाहिए। इसका क्रियान्वयन गहन विचार विमर्श के बाद किया जाना चाहिए।

गोयल ने कहा, जब हम भारत में स्मार्ट शहर और स्मार्ट प्रौद्योगिकी की भूमिका की बात करते हैं, तो हमें स्मार्ट तरीके से सोचना चाहिए। हम इसे कैसे भारतीय माहौल के अनुरूप ढाल सकते हैं। केंद्र ने इस साल जनवरी में नई दिल्ली तथा 11 राज्यों और 20 स्मार्ट शहरों के पहले बैच की घोषणा की थी। इन 20 शहरों में अगले पांच साल में 50,802 करोड़  रुपए का निवेश किया जाना है। गोयल ने कहा कि भारत के समक्ष कई चुनौतियां हैं, लेकिन देश के सामने युवा आबादी के लाभ की स्थिति है, जिससे बड़े बाजार अवसर पैदा होंगे। उन्होंने स्मार्ट शहरों को आगे बढ़ाने के लिए कचरे के निपटान पर जोर देते हुए उचित लागत पर कूड़ेदान की व्यवस्था करने पर जोर दिया।

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मौजूदा बिजली वितरण नेटवर्क का उदाहरण देते हुए गोयल ने कहा कि मौजूदा मीटरों को स्मार्ट मीटरों से बदलने की जरूरत है, भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसमें छेड़छाड़ करने की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, मैं इसी प्रकार का स्मार्ट मीटर चाहता हूं। मुझे नहीं लगता कि इसकी लागत 12 से 15 डॉलर से अधिक बैठेगी। मेरा 25 करोड़ स्मार्ट मीटरों का प्रस्ताव है।

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