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एसएंडपी ने नहीं बढ़ाई भारत की रेटिंग, आउटलुक को भी रखा स्टेबल

रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भारत को तगड़ा झटका दिया है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद एसेंजी ने भारत की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया है।

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नई दिल्ली। दुनिया की बड़ी क्रेडि‍ट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने भारत को तगड़ा झटका दिया है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद एसेंजी ने भारत की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया है। एसएंडपी ने भारत की लॉन्ग टर्म सॉवरेन रेटिंग को बीबीबी निगेटिव पर बरकरार रखा है। साथ ही एसेंजी ने कहा कि अगले साल तक भारत की रेटिंग में कोई बदलाव की उम्‍मीद नहीं है। वहीं सॉवरेन रेटिंग के आउटलुक को भी स्‍टेबल रखा है।

रेटिंग एजेंसी एसएंडपी को भारत की जीडीपी ग्रोथ इस साल 7.4 फीसदी रहने की उम्मीद है। वहीं, 2015 से 2018 तक जीडीपी की औसत ग्रोथ 8 फीसदी के बीच रहेगी। एसएंडपी के मुताबिक इस साल भारत का करेंट अकाउंट घाटा 1.4 फीसदी रह सकता है। एक्सपर्ट्स मानते है कि सॉवरेज रेटिंग को स्‍टेबल रखने से नि‍वेश को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन आउटलुक को बदलने की जरूरत है, जिससे ज्यादा से ज्यादा निवेश भारत में आ सके।

एसएंडपी ने कहा कि‍ पॉलि‍सी मेकिंग बेहतर होने से भारत की इकोनॉमी में सुधार आने की संभावना हैं। एजेंसी ने कहा है कि‍ सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से इकोनॉमी को बूस्‍ट मिल रहा है। इसके अलावा एजेंसी ने कहा कि भारत पर उसकी जीडीपी का 70 फीसदी के बराबर कर्ज है। एजेंसी के मुताबिक स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड्स का घाटा और सरकारी बैंक के अधिक एक्सपोजर से भारत पर कर्ज बढ़ रहा है। एसएंडपी ने कहा कि किसी देश की रेटिंग में सुधार सरकार के राजकोषीय स्थिति (“स्पष्ट रूप से सुधार”) बेहतर होने के आधार पर की जाती है। रेटिंग सुधारने के लिए खासकर उस देश पर जीडीपी के 60 फीसदी से कम कर्ज होना चाहिए।

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