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दवा कंपनियां नए बाजारों में अवसर तलाशें, सरकार करेगी मदद: पीयूष गोयल

भारतीय कंपनियों को सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग सुविधा का फायदा उठाने की सलाह

<p>Pharma Sector</p>- India TV Paisa Image Source : PTI Pharma Sector

नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को दवा कंपनियों से कहा कि वे रूस और पूर्वी यूरोपीय देशों के अब तक अछूते बाजारों में निर्यात के अवसरों की तलाश करें। उन्होंने कंपनियों से कहा कि जिन देशों के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता है, वहां अनुचित प्रतिस्पर्धा या किसी तरह की रुकावट आती है, तो कंपनियां सरका को इससे अवगत करायें। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दवा उद्योग के प्रतिनिधियों और फार्मा संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान यह बात कही।

उन्होंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को सूचित किया कि सरकार ने कुछ सरकारी दवा कंपनियों के विनिवेश का फैसला किया है। उन्होंने भारतीय कंपनियों से कहा कि वे सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनियों को तैयार विनिर्माण सुविधा के तौर पर अपनाकर लाभ उठा सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दवा कंपनियों को पूर्वी यूरोप और रूस में अब तक अछूते रहे बाजारों पर गौर करना चाहिये। द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के मामले में, यदि कोई भी रुकावट या अनुचित प्रतिस्पर्धा सामने आती है तो सरकार को सूचित किया जा सकता है। इन मामलों पर शीघ्र कार्रवाई की जायेगी।

वित्त वर्ष 2019-20 में दवाओं का निर्यात 2018-19 के 19.14 अरब डॉलर से आठ प्रतिशत बढ़कर 20.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया। पूर्वी यूरोपीय देशों में रोमानिया, लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया और मोल्दोवा शामिल हैं। गोयल ने अनुसंधान एवं विकास के प्रयासों में सहयोगात्मक रवैया अपनाने की पैरवी करते हुए कहा कि शिक्षाविदों, विश्वविद्यालयों, आईसीएमआर और निजी क्षेत्र को आपस में हाथ मिलाना चाहिये।

उन्होंने आश्वासन दिया कि बैठक में प्रस्तुत सभी सुझावों पर शीघ्र विचार किया जायेगा और जहां भी आवश्यकता होगी, अंतर-मंत्रालयी परामर्श जल्द से जल्द पूरा किया जायेगा। गोयल ने कहा कि देश को जल्द से जल्द एपीआई (सक्रिय फार्मा सामग्री) के मामले में आत्मनिर्भर बनना चाहिये। सरकार ने इस संबंध में कई कदम भी उठाये हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले दो महीनों के दौरान 120 से अधिक देशों को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा, "भारत में अनुमानित घरेलू आवश्यकताओं के लिये पर्याप्त उत्पादन क्षमता और प्रचुर मात्रा में एचसीक्यू (हाइड्रॉक्सीक्लेरोक्वाइन) तथा पीसीएम (पैरासिटामोल) का भंडार था।

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