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फूड प्रोसेसिंग उद्योग का हब बना उत्तर प्रदेश, 101 से अधिक नए उद्योगों ने शुरू किया उत्पादन

उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग ) के कामों के लिए अब निवेश बढ़ने लगा है। अभी तक देश- विदेश के निवेशक और उद्योगपति इसमें निवेश कर रहे हैं।

<p>फूड प्रोसेसिंग...- India TV Paisa Image Source : FILE फूड प्रोसेसिंग उद्योग का हब बना उत्तर प्रदेश, 101 से अधिक नए उद्योगों ने शुरू किया उत्पादन 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग ) के कामों के लिए अब निवेश बढ़ने लगा है। अभी तक देश- विदेश के निवेशक और उद्योगपति इसमें निवेश कर रहे हैं। सरकार से मिली जानकारी के अनुसार बीते चार सालों में 9105.58 करोड़ रुपए की लागत वाली 139 फूड प्रासेसिंग यूनिट (फैक्ट्री) राज्य में स्थापित करने के प्रस्ताव सरकार को सौंपे, जिनमें से 101 से फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू हो गया है और 38 पर काम तेजी से चल रहा है।

सरकार का दावा है कि 101 से फूड प्रोसेसिंग फैक्ट्रियों की स्थापना पर 4074.02 करोड़ रुपए की लागत आयी है । इन फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों में 20,176 लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा, 38 फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों के निर्माण का कार्य चल रहा है। इन फैक्ट्रियों में 21,111 लोगों को रोजगार मिलेगा।

फूड प्रोसेसिंग अधिकारियों के अनुसार, एसएलएमजी बेवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड ने लखनऊ में 300 करोड़ रुपए, बरेली में बीएल एग्रो 160 करोड़ रुपए और खट्टर इडीबल्स प्राइवेट लिमिटेड रामपुर में डेढ़ सौ करोड़ रुपए का निवेश कर उत्पादन शुरू कर दिया है। 55 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित बाराबंकी में ऑर्गेनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संयंत्र में भी उत्पादन हो रहा है। इसी प्रकार पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड गौतमबुद्धनगर में 2,118 करोड़ रुपए, पेप्सिको मथुरा में 514 करोड़ रुपए, हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड गौतमबुद्धनगर में 490 करोड़ रुपए का निवेश कर रही हैं। इसके अलावा 38 फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों के निर्माण का कार्य चल रहा है, इस वर्ष के अंत तक इन फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। 5031.31 करोड़ रुपए का निवेश से इन 38 फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों के निर्माण पर किया जा रहा है।

यूपी पॉइंटेड लौकी, मटर, आलू, कस्तूरी, तरबूज और कद्दू का देश में सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। देश का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक यही है। प्रदेश में पैदा होने वाले खाद्यान्न का सिर्फ छह प्रतिशत भाग ही प्रोसेस्ड हो पाता है। मुख्यमंत्री योगी सत्ता पर काबिज होंने के बाद उन्होंने किसानों की आय में इजाफा करने की सोच के तहत फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को बढ़ावा देने का फैसला किया। जिसके तहत फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति -2017 को लाए। इन नीति में छोटे तथा बड़े उद्योपतियों को तमाम सहूलियतें दी गई।

यूपी में शीतगृहों के निर्माण, पैक हाउस और प्याज भंडारगृहों के निर्माण, आटा चक्की (ग्रेन मिलिंग) की स्थापना के मिले कई प्रस्ताव जमीन पर लग गए। यहीं नहीं अब अलीगढ़, बरेली, बुलंदशहर, कानपुर देहात, जौनपुर और मथुरा में दूध से बने उत्पाद, औरैया और कासगंज में घी, वाराणसी व देवरिया में हरी मिर्च, अमरोहा, लखनऊ और सीतापुर में आम, बस्ती, गोरखपुर और सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल, कुशीनगर में केले के चिप्स, पूर्वांचल में आलू और अन्य फसलों से जुड़ी इकाइयां लगाई जा रही हैं। इसी तरह पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश में मक्के की खेती को देखते हुए मक्का आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगाने पर सरकार का जोर है।

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