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Hindi News पैसा बिज़नेस नवंबर में सब्जियों के दाम में आई भारी गिरावट, नोटबंदी का हुआ असर

नवंबर में सब्जियों के दाम में आई भारी गिरावट, नोटबंदी का हुआ असर

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि महाराष्ट्र के एपीएमसी में नवंबर माह के दौरान सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आई।

नवंबर में सब्जियों के दाम में आई भारी गिरावट, नोटबंदी का हुआ असर- India TV Paisa नवंबर में सब्जियों के दाम में आई भारी गिरावट, नोटबंदी का हुआ असर

मुंबई। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि महाराष्ट्र के एपीएमसी में नवंबर माह के दौरान सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आई। इसी समय सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी।

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की मासिक रिपोर्ट में उन कीमतों को दर्शाया जाता है जिस दर पर कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) में पंजीकृत कमीशन एजेंट सब्जियों की खरीद करते हैं। ये एजेंट बदले में सब्जियां खुदरा विक्रेताओं और होटल उद्योग जैसे थोक खरीदारों को देते हैं।

  • रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के एपीएमसी में इस वर्ष अक्‍टूबर माह में पत्तागोभी की औसत दर 611 रुपए क्विंटल थी, जो नवंबर में घटकर 575 रुपए प्रति क्विंटल रह गई।
  • इसी प्रकार बैंगन की दर अक्‍टूबर में 2,663 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो नवंबर में घटकर 1,018 रुपए प्रति क्विंटल रह गई।
  • अक्‍टूबर में फूलगोभी की दर 1,316 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो नवंबर में घटकर 814 रुपए प्रति क्विंटल रह गई है।
  • स्वाभीमानी शेतकारी संगठन के नेता और लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने कीमतों में गिरावट का कारण नोटबंदी को बताया है।

देश का सोयाबीन उत्पादन 1.1 करोड़ टन होने की संभावना

देश का सोयाबीन उत्पादन वर्ष 2016 में 1.1 करोड़ टन होने की संभावना है और सोयाबीन उद्योग की अपेक्षा है कि भारत में पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से दिए जाने वाले भोजन और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में इस्तेमाल बढ़ाया जाएं और आम खपत को बढ़ाने में वह समर्थन दे।

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अमेरिकी सोयाबीन निर्यात परिषद (यूएसएसईसी) के भारत एवं एएससी सोया खाद्य कार्यक्रम के निदेशक रतन शर्मा ने कहा, बेहतर मानसून के बाद हमें वर्ष 2016 में सोयाबीन का अधिक उत्पादन यानी 1.1 करोड़ टन का उत्पादन हासिल होने की पूरी उम्मीद है, जो पिछले वर्ष 72 लाख टन का हुआ था।

भारत में प्रोटीन कैलोरी की कमी को दूर करने का बेहतर समाधान हो सकता है और हमारी सरकार को स्वस्थ पीढ़ी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पोषण पूर्ति कार्यक्रम और कल्याण कार्यक्रमों में इसे मुख्य तत्व के रूप में शामिल करना चाहिए।

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