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Hindi News पैसा बिज़नेस OMG! मरने के 7 साल बाद भी खोल दी कंपनी, एक छोटे कमरे से चला रहे थे 550 डमी कंपनियां

OMG! मरने के 7 साल बाद भी खोल दी कंपनी, एक छोटे कमरे से चला रहे थे 550 डमी कंपनियां

इंदौर के केंद्रीय माल एवं सेवा कर आयुक्तालय ने मध्यप्रदेश पुलिस के साइबर दस्ते की मदद से गिरोह के पांच लोगों को सूरत से 25 मई को गिरफ्तार किया।

<p>Fake 550 firms</p>- India TV Paisa Image Source : FILE Fake 550 firms

Highlights

  • एक छोटे कमरे से ही 550 से अधिक डमी कंपनियां चला रहे थे
  • कुछ डमी कंपनियां 7 साल पहले मरे लोगों ने खोली थीं
  • इन डमी कंपनियों का कारोबार 800 करोड़ से अधिक का था

भारत में शातिर अपराधियों की कारिस्तानियों की कई कहानियां हैं, अब इसमें एक और कड़ी सूरत से जड़ी है। यहां एक ऐसे शातिर बदमाश पकड़ में आए हैं, जो एक छोटे कमरे से ही 550 से अधिक डमी कंपनियां चला रहे थे और इनका कारोबार 800 करोड़ से अधिक का था। इनमें से कुछ कंपनियां तो ऐसे लोगों के नाम से थीं जिनकी मौत करीब 7 साल पहले हो चुकी है। 

माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के करोड़ों रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) फर्जीवाड़े के लिए गुजरात के सूरत के एक कमरे से करीब 550 डमी कंपनियां चलाने वाले शातिर गिरोह के पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इंदौर के केंद्रीय माल एवं सेवा कर आयुक्तालय ने मध्यप्रदेश पुलिस के साइबर दस्ते की मदद से गिरोह के पांच लोगों को सूरत से 25 मई को गिरफ्तार किया।

मृतकों के नाम से भी कंपनी

जांच अधिकारियों को एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर भी डमी कंपनी मिली जिसकी सात साल पहले ही मौत हो चुकी है। अधिकारी ने बताया कि गिरोह के कब्जे से डमी कंपनियों के विवरण के साथ ही बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज, मोबाइल फोन, सिम कार्ड, सील, लेटर-पैड आदि बरामद किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मामले में अलग-अलग सरकारी एजेंसियों द्वारा विस्तृत जांच व कार्रवाई जारी है और गिरोह द्वारा कई परतों में किए गए फर्जीवाड़े का आंकड़ा बढ़ सकता है। 

800 करोड़ के फर्जी कारोबार की जांच 

गिरोह द्वारा करीब 550 डमी कंपनियों के नाम पर किया गया कुल 800 करोड़ रुपये का कारोबार जांच के घेरे में है। पुलिस के अनुसार केवल कागजों पर दिखाए गए इस कारोबार के जरिये जीएसटी का 100 करोड़ रुपये से अधिक का आईटीसी फर्जी तौर पर हासिल किया गया और ‘कमीशन’ लेकर इसे अन्य कंपनियों को बेच दिया गया। 

छोटे से कमरे में बड़ा गोरखधंधा

मामले की जांच से जुडे़ एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,‘‘गिरोह द्वारा सूरत के एक कमरे से करीब 550 डमी कंपनियां चलाई जा रही थीं और इनके जरिये करोड़ों रुपये का फर्जी कारोबार किया जा रहा था। हमें इस कमरे में बामुश्किल चार मेज-कुर्सियां रखी मिलीं और हमने पाया कि वहां ज्यादा से ज्यादा छह लोग बैठकर काम कर सकते हैं।’’ 

कैसे करते थे फर्जी काम 

जीएसटी तंत्र में डमी कंपनियां पंजीबद्ध कराने के लिए एक अन्य गिरोह के जरिये गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के लोगों की पहचान के दस्तावेज अवैध तौर पर खरीदे गए थे। अधिकारी ने बताया,‘‘डमी कंपनियां खोलने के लिए गरीब तबके के दिहाड़ी मजदूरों से लेकर मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए एक आईपीएस अधिकारी तक के नाम या पतों के दस्तावेजों का अवैध इस्तेमाल किया गया। इन लोगों को भनक तक नहीं थी कि उनके दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों रुपये का फर्जी कारोबार किया जा रहा है।’’

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