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Hindi News पैसा बिज़नेस उज्ज्वला के बाद मोदी सरकार का एक और मास्टरस्ट्रोक, आम लोगों को जल्द मिलेगी यह बड़ी राहत

उज्ज्वला के बाद मोदी सरकार का एक और मास्टरस्ट्रोक, आम लोगों को जल्द मिलेगी यह बड़ी राहत

ईईएसएल अधिकारियों के अनुसार, इन योजनाओं से सालाना 52 अरब यूनिट बिजली खपत में कमी लाने में मदद मिली है। साथ ही सालाना 11,200 मेगावॉट बिजली मांग को कम करने तथा 4.55 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में सहायता मिली है।

आम लोगों को जल्द मिलेगी यह बड़ी राहत- India TV Paisa Image Source : FILE आम लोगों को जल्द मिलेगी यह बड़ी राहत

आम लोगों को मोदी सरकार एक और बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। सरकार ने सस्ती दर पर ‘इंडक्शन’ चूल्हा और ‘इंडक्शन प्रेशर कुकर’ उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। यह काम सरकारी कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) के जरिये किया जाएगा। दी गई जानकारी के मुताबिक, ईईएसएल जल्दी ही पर्यावरण अनुकूल तरीके से खाना पकाने का राष्ट्रीय कार्यक्रम (नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लीन कुकिंग) शुरू करेगी। इसके तहत ग्राहकों को बेहद ही कम कीमत पर ‘इंडक्शन’ चूल्हा और ‘इंडक्शन प्रेशर कुकर’ उपलब्ध कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि देश के अब भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां एलपीजी को पहुंचाने में कठिनाई आती है जबकि वहां बिजली पहुंच चुकी है। मुख्य रूप से उन इलाकों को ध्यान में रखकर यह कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। 

बाजार से इतनी कम होगी कीमत 

सूत्रों ने कहा, ‘‘ईईएसएल अब पर्यावरण अनुकूल तरीके से खाना पकाने का राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी में है। इसमें ग्राहकों को सस्ती दर पर बिजली से चलने वाला ‘इंडक्शन’ चूल्हा और ‘इंडक्शन प्रेशर कुकर’ उपलब्ध कराया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत इंडक्शन चूल्हा और इंडक्शन प्रेशर कुकर मौजूदा बाजार मूल्य से 20 से 30 प्रतिशत तक सस्ते हो सकते हैं। इस बारे में राज्यों के साथ भी बातचीत हुई है। 

बिजली खपत को कम करने के लिए कई पहल किए 

ईईएसएल ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने और बिजली खपत को कम करने के लिये विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन कर रही है। इसमें सस्ती दर पर एलईडी उपलब्ध कराने का उजाला कार्यक्रम, स्मार्ट मीटर कार्यक्रम, इमारतों को ऊर्जा दक्ष बनाने का कार्यक्रम शामिल हैं। ईईएसएल अधिकारियों के अनुसार, इन योजनाओं से सालाना 52 अरब यूनिट बिजली खपत में कमी लाने में मदद मिली है। साथ ही सालाना 11,200 मेगावॉट बिजली मांग को कम करने तथा 4.55 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में सहायता मिली है। 

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