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'पान बनारस वाला' को मिला जीआई टैग, जानिए इस उपलब्धि के क्या हैं मायने?

GI Tag Banaras Paan: अपने बेहतरीन स्वाद के लिए प्रसिद्ध बनारसी पान को 3 अप्रैल को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला है। आइए जानते हैं कि इस टैग के क्या मायने हैं? और इससे कितना कुछ बदल जाएगा?

GI Tag- India TV Paisa Image Source : FILE GI Tag

Banaras Paan GI Tag: वाराणसी के बनारसी पान और लंगड़ा आम ने आखिरकार भौगोलिक संकेत (जीआई) क्लब में प्रवेश कर लिया है, जिसका अर्थ है कि अब उनकी पहचान उनके मूल से होगी। 31 मार्च को जीआई रजिस्ट्री चेन्नई ने क्षेत्र के दो और उत्पादों, रामनगर भांता (बैंगन) और चंदौसी के आदमचीनी चावल (चावल) को टैग दिए हैं। इन उत्पादों को जीआई टैग से मान्यता मिलना इनके उत्पादन और व्यापार से जुड़े लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लंबे समय से परियोजना पर काम कर रहे जीआई विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत ने कहा कि चारों उत्पाद कृषि और बागवानी से संबंधित हैं। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  उन्होंने कहा कि लगभग 25,500 करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार के साथ 20 लाख से अधिक लोग चार उत्पादों के व्यापार में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 20 उत्पादों के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन किया था और 11 उत्पादों को जीआई क्लब में शामिल किया गया।

सबको होगा फायदा

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत क्षेत्र के विशेष उत्पादों, जैसे बनारसी साड़ी और धातु शिल्प को बढ़ावा देने और उनके लिए जीआई टैग प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में 1,000 से अधिक किसानों को जीआई अधिकृत पंजीकरण प्राप्त होगा, जो उन्हें जीआई टैग का कानूनी रूप से उपयोग करने में सक्षम करेगा। इससे नकली उत्पादों को बाजार में प्रवेश करने से भी रोका जा सकेगा, अंततः उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होगा।

क्या होता है जीआई टैग?

जीआई का मतलब ज्योग्राफिकल संकेत होता है, जो सिर्फ किसी खास क्षेत्र में ही पाया जाता है। यह टैग इस बात को सूचित करता है कि वह प्रोडक्ट अपने आप में एक खासियत रखता है। 

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