A
Hindi News पैसा बिज़नेस 10 लाख जॉब्स, 100 अरब डॉलर का निवेश और सस्ते होंगे यूरोपीय प्रोडक्ट्स, जानिए India-EFTA डील के मायने

10 लाख जॉब्स, 100 अरब डॉलर का निवेश और सस्ते होंगे यूरोपीय प्रोडक्ट्स, जानिए India-EFTA डील के मायने

India-EFTA Free Trade Agreement : भारत और यूरोप के 4 देशों के बीच 16 साल के लंबे इंतजार और 21 दौर की वार्ता के बाद फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर साइन हुए हैं। इसके तहत ये 4 देश भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करेंगे और भारत यूरोपीय प्रोडक्ट्स के लिए सीमा शुल्क कम करेगा।

भारत ईएफटीए डील- India TV Paisa Image Source : FILE भारत ईएफटीए डील

India-EFTA  Deal : 16 वर्षों का लंबा इंतजार आखिर खत्म हो गया है। भारत और यूरोप के 4 देशों के बीच बड़ी डील हुई है। यह है- फ्री ट्रेड एग्रीमेंट यानी मुक्त व्यापार समझौता। अगर आप यूरोपियन प्रोडक्ट्स के शौकीन हैं और स्विस घड़िया-चॉकलेट्स आदि पसंद करते हैं, तो इस डील से ये वस्तुएं अब आपको कम दाम में मिल जाएंगी। साथ ही यूरोप के इन 4 देशों में आपको खूब भारतीय उत्पाद देखने को मिल सकेंगे। भारत ने जिस संगठन के साथ यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया है, इसे यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन (EFTA) के नाम से जानते हैं। इस ग्रुप में 4 देश हैं- स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन। ये वे देश हैं, जो यूरोपीय यूनियन का हिस्सा नहीं हैं। आइए जानते हैं कि 16 वर्षों में 21 दौर की वार्ता के बाद हुई इस डील से भारत को क्या फायदा होगा।

गेम चेंजर, अभूतपूर्व और विन-विन सोल्यूशंस

इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को भारत सहित इन चारों देशों के अधिकारी गेम-चेंजर, अभूतपूर्व और विन-विन सोल्यूशंस बता रहे हैं। इन चार छोटे यूरोपीय देशों ने अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करने और 10 लाख से अधिक रोजगार पैदा करने में मदद करने का कमिटमेंट किया है। इससे इन पांचों देशों को फायदा होगा, क्योंकि भारत इस समय दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश के साथ एक काफी बड़ा मार्केट है। हमारे देश में मिडिल क्लास लगातार बढ़ रहा है। साथ ही भारत बड़े देशों में सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बना हुआ है। ऐसे में भारत में निवेश कर हर कोई मुनाफा कमाना चाहता है।

भारत में सस्ते हो जाएंगे यूरोपीय प्रोडक्ट्स

इस निवेश के जवाब में भारत ने कहा है कि वह सोने को छोड़कर 95.3% औद्योगिक आयात पर अभी लग रहे काफी अधिक सीमा शुल्क को तुरंत या धीरे-घीरे हटा देगा या बहुत कम कर देगा। इससे यूरोपीय प्रोडक्ट्स भारत में सस्ते हो जाएंगे और उनकी खपत बढ़ेगी। भारत और चार EFTA देशों को अब इस समझौते को लागू करने से पहले इसे अनुमोदित करने की आवश्यकता है, स्विट्जरलैंड अगले साल तक ऐसा करने की योजना बना रहा है। भारत और एईएफटीए के बीच होने वाले व्यापार में स्विट्जरलैंड का लगभग 91 फीसदी हिस्सा है।

मेक इन इंडिया को मिलेगी रफ्तार

पीएम मोदी ने इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को ऐतिहासिक मोड़ बताया है। इस डील से आईटी, व्यापार सेवाओं, शिक्षा, दवाइयां, कपड़ा, रसायन और मशीनरी जैसे सेक्टर्स में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन मुख्य फोकस इन्वेस्टमेंट पर है। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पीएम मोदी की 'मेक इन इंडिया' पहल को रफ्तार देगा। यह पहल विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, फूड प्रोसेसिंग, रेलवे और फाइनेंशियल सेक्टर्स में निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए है। सरकार को उम्मीद है कि ग्लोबल सप्लाई चेन्स के लिए चीन के विकल्प के रूप में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की बढ़ती अपील का लाभ उठाकर कई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स हो सकते हैं। भारत ने 2021 के बाद से अब तक 4 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किये हैं। भारत और ईएफटीए पहले यूरोपीय फ्री ट्रेड पार्टनर्स हैं। भारत यूके, यूरोपीय यूनियन और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए चर्चा कर रहा है।

ये सामान हो जाएंगे सस्ते

भारत ईएफटीए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से स्विस घड़ियां, फार्मा प्रोडक्ट, फर्टीलाइजर्स, चॉकलेट, मिनरल्स, टेक्सटाइल्स, स्मार्टफोन, आयरन और स्टील प्रोडक्ट देश में सस्ते हो जाएंगे। अभी भारत में स्विस घड़ियों पर 20 फीसदी और यूरोपीय चॉकलेट पर 30 फीसदी इंफोर्ट ड्यूटी लगती है। इसके अलावा सीफूड, मेडिटेरेनियन फल, कॉफी, तेल, मिठाइयां, प्रोसेस्ड फूड और शराब की कीमतों भी कम हो जाएंगी।

घटेगा भारत का व्यापार घाटा

भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के प्रमुख व्यापार अर्थशास्त्री राम सिंह ने रॉयटर्स को बताया, 'यह व्यापार समझौता स्विट्जरलैंड और नॉर्वे की टेक्नोलॉजीज तक पहुंच बनाकर मेडिकल डिवाइसेज और क्लीन एनर्जी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने और अन्य देशों को निर्यात बढ़ाने में मदद करेगा।' विश्लेषकों का कहना है कि EFTA समझौता भारत को EFTA के साथ अपने बड़े व्यापार घाटे को कम करने में तुरंत मदद नहीं कर सकता है, लेकिन यह प्रमुख उद्योगों में निवेश आकर्षित करने में मदद करेगा। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत और इन देशों के बीच 18.65 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। लेकिन इसमें भारत का व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर रहा था।

Latest Business News