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किसानों की आय दोगुनी हुई? जानिए क्यों नीति आयोग ने कहा- पता लगाना बहुत ही मुश्किल

चंद ने कहा कि अगर व्यापारियों को बिना मांग और आपूर्ति के समर्थन वाली कीमत पर गेहूं या चावल खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है, तो खरीदारी नहीं होगी। चंद ने कहा कि जब सरकार किसी चीज (गेहूं या चावल) को फिर से उस कीमत पर खरीदती है जो मांग और आपूर्ति पर आधारित नहीं है, तो इसका आर्थिक प्रभाव होता है।

Farmers Income - India TV Paisa Image Source : FILE किसानों की आय

क्या देश के किसानों की आय दोगुनी हो गई या नहीं? इस पर इन दिनों जोर से चर्चा हो रही है। अब नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि आय की सही जानकारी का पता लगाना बहुत ही मुश्किल है। इसकी वजह सही आंकड़ों की कमी है। उन्होंने कहा कि किसान गैर-कृषि स्रोतों से अधिक कमाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया था ताकि हम इसके लिए और अधिक प्रयास करें। इस लक्ष्य के हिसाब से हम कहां हैं, इसका आकलन करने की जरूरत है। लेकिन आवश्यक आंकड़े हमारे पास उपलब्ध नहीं है।’’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्च वाली सरकार ने 2016 में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था।

गैर-कृषि स्रोतों से आय का आंकड़ा नहीं 

जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार के पास 2018-19 के बाद गैर-कृषि स्रोतों से किसानों को होने वाली आय का आंकड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि 2018-19 में छोटे और सीमांत किसान गैर-कृषि स्रोतों से अधिक कमाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास वह आंकड़ा होगा, तभी यह स्पष्ट होगा कि क्या हमने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है या नहीं। विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की विभिन्न किसना संगठनों खासकर पंजाब के कृषकों की मांग से जुड़े सवाल के जवाब में चंद ने कहा कि अगर कृषि वस्तुओं की कीमतें कानूनी रूप से तय की जा सकती, तो किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कोशिश में जुटे कई देशों ने इसे कानूनी रूप दे दिया होता। उन्होंने कहा कि कीमतें कानूनी तौर पर तय नहीं की जा सकतीं। इससे विभिन्न तरह समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

कानून के जरिये कीमत तय करना संभव नहीं 

रमेश चंद ने यह भी कहा कि कृषि वस्तुओं की कीमतें किसी कानून के जरिये तय नहीं की जा सकती, क्योंकि इसके गंभीर प्रभाव हैं। यह न तो कृषि क्षेत्र और न ही किसानों के हित में हैं।  इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रणनीतियों के बारे में सुझाव देने को लेकर अप्रैल, 2016 में अंतर-मंत्रालयी समिति बनायी गयी थी। समिति ने सितंबर, 2018 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद सरकार ने प्रगति की समीक्षा और निगरानी के लिए एक ‘अधिकार प्राप्त निकाय’ की स्थापना की है। इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए, चंद ने कहा कि हमारे पास किसानों को लेकर कोई आंकड़ा नहीं है, क्योंकि जब आप किसानों की आय की गणना करना चाहते हैं, तो आपको आंकड़े चाहिए।

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