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मंदी के बीच निर्मला सीतारमण की निर्यातकों को सलाह, बताया संकट से निपटने का तरीका

आयात के संदर्भ में उन्होंने उद्योग को आश्वस्त किया कि सरकार उन विशिष्ट वस्तुओं पर विचार कर रही है, जिनकी अगले कुछ वर्षों तक लगातार आवश्यकता होगी और साथ ही वे जिनका आयात घरेलू विनिर्माताओं को नुकसान पहुंचा सकता है।

Nirmala Sitharaman- India TV Paisa Image Source : PTI Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को निर्यातकों से सरकार के साथ मिलकर काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि निर्यातकों को नये सुझावों को लेकर खुले मन से गौर करने के साथ विदेशों में मंदी या नरमी उनके लिए कैसी होगी, उसका आकलन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाहरी अनिश्चितताओं को लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है और इसीलिए यह चुनौतीपूर्ण है। महामारी के बाद, युद्ध के बाद और बार-बार वायरस के मामले आने के साथ, अनिश्चितताओं से निपटने के लिये कोई तय नियम नहीं है।

आयात के संदर्भ में उन्होंने उद्योग को आश्वस्त किया कि सरकार उन विशिष्ट वस्तुओं पर विचार कर रही है, जिनकी अगले कुछ वर्षों तक लगातार आवश्यकता होगी और साथ ही वे जिनका आयात घरेलू विनिर्माताओं को नुकसान पहुंचा सकता है। सीतारमण ने उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम में कहा, ‘‘विदेशों में जो बदलाव हो रहा है, मंदी की आशंका है या अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त पड़ रही है, ये सभी चीजें भारतीय निर्यातकों के लिये चुनौतीपूर्ण होने जा रही हैं।

भारतीय निर्यातकों को नई सोच, विचारों को लेकर सजग होना होगा। उन्हें इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि वहां क्या हो रहा है या उसका आकलन करना होगा कि चीजें कैसे आगे बढ़ रही हैं, वह उनके लिये कैसे सार्थक होगा। साथ ही सरकार के साथ लगातार जुड़कर काम करने की आवश्यकता है। अन्यथा निर्यातकों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और चुनौतियां उन्हें हतोत्साहित कर सकती हैं।’’

मंत्री का बयान व्यापार के आंकड़े जारी होने के बाद आया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक मांग में नरमी से देश का निर्यात जनवरी महीने में 6.58 प्रतिशत घटकर 32.91 अरब डॉलर रहा। यह लगातार दूसरा महीना है, जब निर्यात घटा है। जनवरी में आयात भी 3.63 प्रतिशत घटकर 50.66 अरब डॉलर रहा। सीतारमण ने कहा कि सीमाओं पर सीमा शुल्क अधिकारी निर्यात और आयात दोनों पर नजर रख रहे हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘आंख मूंदकर हम कोई रुख नहीं ले रहे। सरकार उन विशिष्ट वस्तुओं पर विचार कर रही है, जिनकी अगले कुछ वर्षों तक लगातार आवश्यकता होगी और साथ ही वे जिनका आयात घरेलू विनिर्माताओं को नुकसान पहुंचा सकता है। जिससे हमें नुकसान पहुंच सकता है, हम उस पर कार्रवाई करने को तैयार हैं।’’ उन्होंने कंपनियों से सरकार को उन वस्तुओं के आयात के बारे में सूचना देने को कहा, जिससे उन्हें लगता है कि घरेलू उद्योग को नुकसान होगा। साथ ही उसके बारे में भी जानकारी दें, जो विनिर्माण के लिये जरूरी कच्चा माल है।

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