A
Hindi News पैसा बिज़नेस Go First Airline को बचाने के लिए आगे आई भारत सरकार, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही बड़ी बात

Go First Airline को बचाने के लिए आगे आई भारत सरकार, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही बड़ी बात

Go First Airline: गो फर्स्ट ने हाल ही में वित्त वर्ष 2022 में अपना सबसे बड़ा वार्षिक घाटा दर्ज किया है और पिछले कुछ महीनों में परिचालन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहा है।

Aviation Minister Jyotiraditya Scindia- India TV Paisa Image Source : FILE Aviation Minister Jyotiraditya Scindia

Aviation Minister Jyotiraditya Scindia: Go First Airlines धीरे-धीरे मुश्किलों में फंसती जा रही है। हालांकि इस बीच एक राहत की खबर उसके लिए आई है। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि GoFirst को अपने इंजनों के संबंध में महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों का सामना करना पड़ा है। भारत सरकार हर संभव तरीके से एयरलाइन की सहायता कर रही है। इस मुद्दे को शामिल हितधारकों के साथ भी उठाया गया है। फिर भी, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस परिचालन संबंधी अड़चन ने एयरलाइन की वित्तीय स्थिति को झटका दिया है। बता दें कि Go First Airlines 3 और 4 मई की उड़ाने रद्द कर दी हैं। यह जानकारी डीजीसीए को दी गई है। एयरलाइंस का कहना है कि तेल कंपनियों के बकाये का भुगतान नहीं कर पाने के कारण यह फैसला लिया गया है।   

सबसे बड़ा वार्षिक घाटा दर्ज 

गो फर्स्ट ने हाल ही में वित्त वर्ष 2022 में अपना सबसे बड़ा वार्षिक घाटा दर्ज किया है और पिछले कुछ महीनों में परिचालन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहा है, क्योंकि इसके आधे विमान प्रैट एंड व्हिटनी (पी एंड डब्ल्यू) जेट इंजनों से संबंधित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के कारण ग्राउंडेड थे। Go First एयरलाइन के 57 के बेड़े में से 28 विमानों के साथ दैनिक संचालन कर रहा है, शेष विमान अमेरिकी निर्माता प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा आपूर्ति किए गए इंजनों में परेशानी के कारण ग्राउंडेड हैं। गो फर्स्ट, जिसे पहले गो एयर के नाम से जाना जाता था, भारतीय घरेलू हवाई क्षेत्र में 9% बाजार हिस्सेदारी रखता है। अप्रैल 2023 के लिए इसमें औसतन 94.5% यात्री भार कारक था। 

किंगफिशर की राह पर चल रही गो फर्स्ट

इकोनॉमिक टाईम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, एक ऑयल मार्केटिंग कंपनी के अधिकारी ने बताया कि गो फर्स्ट कैश एंड कैरी मोड पर ऑपरेट कर रहा है। यानि एयरलाइंस को हर दिन के हिसाब से जितनी उड़ान भरनी है, उसके मुताबिक हवाई ईंधन के लिए भुगतान करना पड़ता है। इस वजह से एयरलाइंस इस बात पर सहमत है कि भुगतान नहीं किए जाने पर वेंडर बिजनेस को बंद कर सकता है। ऐसा लगता है कि गो फर्स्ट भी उसी राह पर जा रही है जिस राह पर कभी किंगफिशर गई थी। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि क्या गो एयर भी किंगफिशर के रास्ते पर चलते हुए बिजनेस बंद करेगी?

Latest Business News