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क्या भारत की विकास दर में लगेगी इमरजेंसी ब्रेक, एक्यूट रेटिंग ने अपने रिपोर्ट में किया दावा

एक्यूट रेटिंग (Acuite Rating) ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भारत की दो अंकों की वार्षिक वृद्धि देखने में तो अच्छी लग रही है लेकिन हाल की स्थिति को देखकर ये कहना मुश्किल है कि ये संभव होगी।

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एक्यूट रेटिंग (Acuite Rating) ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भारत की दो अंकों की वार्षिक वृद्धि देखने में तो अच्छी लग रही है लेकिन हाल की स्थिति को देखकर ये कहना मुश्किल है कि ये संभव होगी। रिपोर्ट में वृद्धि दर अनुमान से 2 फीसदी कम होने की जानकारी दी गई है। 

एक्यूट ने खरीफ चावल की फसल पर बारिश के प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताई गई है। दुनिया के कई देशों में भी मंदी आने की उम्मीद है। भारत में केंद्र ने शुक्रवार से चावल निर्यात (Rice Export) पर प्रतिबंध लगा दिया है और कमोडिटी के विभिन्न ग्रेडों पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क भी लगाया है। अनुमान जताया जा रहा है कि धान की अपर्याप्त बुवाई के चलते ऐसी स्थिति सामने आकर खड़ी हो गई है। मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे चावल वाले राज्यों में खराब बारिश के कारण उत्पादन में कमी आएगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, पहली तिमाही में टीकाकरण कवरेज ने भारत की जीडीपी को मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। घरेलू मांग में वृद्धि देखी गई है लेकिन वो अपेक्षाकृत कम थी। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि हेडलाइन जीडीपी जितना खुलासा करती है उससे कहीं अधिक छुपाती है।

2023 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले दिनों में भारत को लाभ होने की संभावना है क्योंकि चीन नए निवेश इरादों के मामले में धीमा है। 2023 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 13.5 प्रतिशत थी। इस दर पर भारत के चालू वित्त वर्ष में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होने की संभावना है। दिलचस्प बात यह है कि वित्त वर्ष 2013 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर का अनुमान वर्तमान में 6.7 प्रतिशत से 7.7 प्रतिशत तक है, जो एक अच्छे संकेत है।"

एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट में खुलासा

एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट (SBI Ecowrap Report) में कहा गया है कि 2014 के बाद से देश द्वारा अपनाए गए रास्ते के कारण भारत की 2029 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद का हिस्सा अब 3.5 प्रतिशत है, जो 2014 में 2.6 प्रतिशत था और 2027 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में जर्मनी की वर्तमान हिस्सेदारी के 4 प्रतिशत को पार करने की संभावना है।

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