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Hindi News पैसा बिज़नेस भारत दो साल में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, मोदी सरकार के आने के बाद 10वें से 5वें स्थान पर आया

भारत दो साल में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, मोदी सरकार के आने के बाद 10वें से 5वें स्थान पर आया

रेल मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे वैष्णव ने कहा कि भारत को विश्व स्तर पर एक आकर्षक स्थान के रूप में देखा जा रहा है और दुनिया भारत में अपना भरोसा जता रही है।

भारतीय अर्थव्यवस्था- India TV Paisa Image Source : FILE भारतीय अर्थव्यवस्था

केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों और जमीनी स्तर पर उठाये गये कदमों के कारण भारत दो साल में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद 2014 से देश में तेजी से सामाजिक और आर्थिक बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद भारत 10वें स्थान से 5वें स्थान पर आ गया और दो साल के भीतर देश दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। 

वैश्विक जगत में आकर्षक निवेश गंतव्य

रेल मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे वैष्णव ने कहा कि भारत को विश्व स्तर पर एक आकर्षक स्थान के रूप में देखा जा रहा है और दुनिया भारत में अपना भरोसा जता रही है। वैष्णव ने कहा, ''छह साल के भीतर भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।'' वह मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर आयोजित एक सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि 2047 तक भारत एक विकसित देश बन जाएगा। 

भारतीय अर्थव्यवस्था 3,500 अरब डॉलर के पार पहुंची

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) साल 2022 में 3,500 अरब डॉलर से अधिक रहा और अगले पांच वर्षों तक यह जी20 समूह में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहेगा। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने एक शोध रिपोर्ट में भारत की वृद्धि रफ्तार को लेकर आशावादी नजरिया जताने के साथ निर्णय-प्रक्रिया में शामिल नौकरशाही के रुख को लेकर आशंका भी जताई है। रिपोर्ट के मुताबिक, विनिर्माण एवं ढांचागत क्षेत्रों में मांग इस दशक के बाकी समय में भारतीय अर्थव्यवस्था सालाना 3-12 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इसके बावजूद भारत की क्षमता वर्ष 2030 तक चीन से पीछे ही रहेगी। मूडीज ने कहा कि क्षेत्रीय व्यापार समझौतों को लेकर भारत के सीमित उदार रवैये का भी विदेशी निवेश आकर्षित करने पर असर पड़ेगा। 

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