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Hindi News पैसा बिज़नेस भारतीय अर्थव्यवस्था के 4,000 अरब डॉलर का आंकड़ा पार, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट की सच्चाई जानें

भारतीय अर्थव्यवस्था के 4,000 अरब डॉलर का आंकड़ा पार, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट की सच्चाई जानें

देश के प्रमुख उद्योगपति अडाणी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, 'बधाई हो भारत'। भारत के 4,400 अरब डॉलर वाले जापान और 4,300 अरब डॉलर वाले जर्मनी को पीछे छोड़कर जीडीपी के लिहाज से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सिर्फ दो साल बाकी हैं। तिरंगे की उड़ान जारी है!

भारतीय अर्थव्यवस्था- India TV Paisa Image Source : FILE IMAGE भारतीय अर्थव्यवस्था
दो केंद्रीय मंत्रियों और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के अलावा अरबपति कारोबारी गौतम अडाणी ने रविवार को भारतीय अर्थव्यवस्था के 4,000 अरब डॉलर का आंकड़ा पार करने की सराहना की लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सरकार की तरफ से मील का यह पत्थर हासिल कर लिए जाने के बारे में कोई बयान नहीं दिया गया है। वित्त मंत्रालय और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने भारत की जीडीपी के 4,000 अरब डॉलर को पार करने के संबंध में सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इस बीच, उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हो रही यह खबर गलत है और भारत 4,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने से अभी दूर है। 

आईएमएफ के हवाले से पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों के आधार पर सभी देशों के लिए ताजा जीडीपी आंकड़ों का एक असत्यापित स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर साझा किया गया है। इसे साझा करने वालों में सत्तारूढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं सहित कई लोग शामिल हैं। सोशल मीडिया मंचों पर फडणवीस सहित कई राजनीतिक नेताओं ने इस उपलब्धि की सराहना की। इस संबंध में ट्वीट करने वालों में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी और तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी शामिल हैं। 
 

बधाई हो भारत: गौतम अडाणी

देश के प्रमुख उद्योगपति अडाणी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, 'बधाई हो भारत'। भारत के 4,400 अरब डॉलर वाले जापान और 4,300 अरब डॉलर वाले जर्मनी को पीछे छोड़कर जीडीपी के लिहाज से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में सिर्फ दो साल बाकी हैं। तिरंगे की उड़ान जारी है! जय हिंद।'' सभी देशों के जीडीपी आंकड़ों की ताजा निगरानी बहुत मुश्किल है, क्योंकि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़े थोड़े अंतराल के साथ उपलब्ध होते हैं। भाषा पाण्डेय प्रेम प्रेम 1911 1755 दिल्ली नननन

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