A
Hindi News पैसा बिज़नेस महंगाई का करंट: खेती करना और भी होगा महंगा, इस कारण से खाद के दाम पहुंचेंगे आसमान पर

महंगाई का करंट: खेती करना और भी होगा महंगा, इस कारण से खाद के दाम पहुंचेंगे आसमान पर

उर्वरकों की उत्पादन लागत एक साल से भी कम समय में लगभग 20 प्रतिशत बढ़ गई है। रूस प्राकृतिक गैस का प्रमुख उत्पादक है।

<p>Farmer </p>- India TV Paisa Image Source : PTI Farmer 

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते भारत पर महंगाई का खतरा बढ़ता जा रहा है। कच्चे तेल की कीमतों के चलते पेट्रोल डीजल में महंगाई का खतरा बढ़ रहा है। वहीं महंगे आयात से भी भारतीय अर्थव्यवस्था में डर गहरा गया है। इस बीच खेती किसानी कर रहे किसानों के लिए भी रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष कमरतोड़ महंगाई का झटका देने के लिए पृ​ष्ठभूमि तैयार कर रहा है। 

किसानों को यह झटका रसायनिक उर्वरक के क्षेत्र से पड़ता दिख रहा है। रूस दुनिया का एक प्रमुख फर्टिलाइजर सप्लायर है। जिस तरह से दुनिया भर से रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लग रहे हैं। उससे इसकी वैश्विक सप्लाई बाधित हो रही है। रूस यूक्रेन विवाद शुरू होने के बाद ही कीमतें 10 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं। ऐसे में खरीफ सीजन के लिए किसान खाद खरीदने जाएगा तो कीमतें किसी झटके से कम नहीं होंगी।  

खटाई में पड़ा रूस से उर्वरक का करार

फरवरी में भारत ने उर्वरकों की लंबी अवधि की आपूर्ति के लिए रूस के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी। यदि यह सौदा अंजाम तक जाता, तो इससे भारत को वैश्विक कीमतों में उठापटक के बावजूद स्थिर दरों पर आयात का मौका मिल सकता था। लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति नाटकीय रूप से बदल गई है।

उर्वरक आयात पर भारी निभरता 

भारत अपनी उर्वरक जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है। उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि देश की खपत का आधे से ज्यादा यूरिया आयात करता है। ऐसे में वैश्विक उर्वरक आपूर्ति में अस्थिरता का भारत पर बड़ा प्रभाव होना तय है। 2018-19 और 2020-21 के बीच, कुल उर्वरक आयात 188.4 लाख टन से लगभग 8 प्रतिशत बढ़कर लगभग 203.3 लाख टन हो गया।

रूस से दोगुना हुआ आयात

लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, इन तीन वर्षों में सिर्फ रूस से चार प्रकार के उर्वरकों का आयात लगभग दोगुना हो गया है। भारत ने वित्त वर्ष 19 में 10.61 लाख टन उर्वरकों का आयात किया, जो वित्त वर्ष 21 तक बढ़कर 19.15 लाख टन हो गया। आयात में उर्वरक की चार श्रेणियां शामिल थीं- यूरिया, डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट), एमओपी (पोटाश का म्यूरेट) और एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम)।

अब दूसरे देशों की तलाश 

उर्वरक उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार रूस और यूक्रेन संकट के बीच भारत अब कनाडा, जॉर्डन, लिथुआनिया, इज़राइल और जर्मनी सहित अन्य देशों से आयात कर सकता है। लेकिन यहां से आयात रूस जितना सस्ता और स्थिर कीमतों पर नहीं होगा। वहीं डीएपी की बात करें तो सऊदी अरब, मोरक्को और चीन अब तक प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहे हैं। लेकिन चीन ने पिछले एक साल से डीएपी के निर्यात को पहले ही प्रतिबंधित कर दिया है, इसलिए भारत पहले से ही मोरक्को और सऊदी अरब और जॉर्डन पर निर्भर हो गया है। 

एक साल में 20 प्रतिशत बढ़ी कीमतें 

उर्वरकों की उत्पादन लागत एक साल से भी कम समय में लगभग 20 प्रतिशत बढ़ गई है। रूस प्राकृतिक गैस का प्रमुख उत्पादक है। रूसी आक्रमण से प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ जाएंगी। दूसरी ओर रूस और यूक्रेन के अलावा अन्य यूरोपीय देशों से भी आपूर्ति के लिए रसद श्रृंखला-उर्वरक आयात आमतौर पर समुद्री मार्ग से आते हैं। यहां पर भी आयात निर्यात पर बड़ा व्यवधान है। सिर्फ यूक्रेन विवाद बढ़ने के बाद ही कीमतें 10 फीसदी बढ़ चुकी हैं।

Latest Business News