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Hindi News पैसा बिज़नेस महंगाई डायन: खुदरा महंगाई बढ़कर 6.07% पर पहुंची, खाने-पीने के सामान के बाद अब बढ़ सकती है EMI

महंगाई डायन: खुदरा महंगाई बढ़कर 6.07% पर पहुंची, खाने-पीने के सामान के बाद अब बढ़ सकती है EMI

खाद्य उत्पादों में वृद्धि तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई, जो फरवरी में सालाना आधार पर 16.44 प्रतिशत महंगी हो गई। इसके अलावा सब्जियों की कीमतों में 6.13 फीसदी की तेजी देखी गई।

<p>inflation </p>- India TV Paisa Image Source : FILE inflation 

Highlights

  • फरवरी, 2020 में खुदरा महंगाई 5.03 प्रतिशत रही थी
  • जनवरी, 2022 में खुदरा महंगाई 6.01 प्रतिशत पर थी
  • यह RBI की अधिकतम तय सीमा से भी ऊपर चली गई

नई दिल्ली। खाने-पीने के सामान महंगा होने से फरवरी में खुदरा महंगाई बढ़कर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी, 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति की दर 6.07 प्रतिशत रही। एक साल पहले इसी महीने में यह 5.03 प्रतिशत रही थी, जबकि जनवरी, 2022 में यह 6.01 प्रतिशत थी। यह RBI की अधिकतम तय सीमा यानी 6% से भी ऊपर चली गई है। ऐसे में आने वाली मौद्रिक पॉलिसी में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है। ऐसा होने पर लोन की EMI का बोझ भी बढ़ सकती है। 

खाने के तेल ने आग लगाई 

खाद्य उत्पादों में वृद्धि तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई, जो फरवरी में सालाना आधार पर 16.44 प्रतिशत महंगी हो गई। इसके अलावा सब्जियों की कीमतों में 6.13 फीसदी की तेजी देखी गई, जबकि मांस और मछली में 7.45 फीसदी और अंडे की कीमतों में 4.15 फीसदी की तेजी देखी गई। अनाज और उत्पाद खंड में 3.95 प्रतिशत और चीनी और कन्फेक्शनरी में 5.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई। खाद्य और पेय पदार्थों के अलावा, ईंधन और प्रकाश खंड में 8.73 प्रतिशत, कपड़े और जूते में 8.86 प्रतिशत और आवास खंड में 3.57 प्रतिशत की तेजी आई।

खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी

आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी में खुदरा महंगाई बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी रही। पिछले महीने खाद्य उत्पादों की कीमतें 5.89 प्रतिशत बढ़ीं, जबकि जनवरी में यह 5.43 प्रतिशत बढ़ी थीं। भारतीय रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति पर ही गौर करता है।

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