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Hindi News पैसा बिज़नेस JRD Tata Birth Anniversary: चार देशों में पढ़ाई फिर बिना पैसे की नौकरी, देश को पहली Airlines देने वाले जेआरडी टाटा की कहानी

JRD Tata Birth Anniversary: चार देशों में पढ़ाई फिर बिना पैसे की नौकरी, देश को पहली Airlines देने वाले जेआरडी टाटा की कहानी

JRD Tata Birth Anniversary: साल 1904 में फ्रांस के पेरिस शहर में पैदा हुए जेआरडी का नाम भारत के उन उद्योगपतियों की लिस्ट में लिया जाता जिसने भारत की अर्थव्यवस्था में एक मजबूत कड़ी की भूमिका निभाई हो।

JRD Tata Birth Anniversary- India TV Paisa Image Source : INDIA TV JRD Tata Birth Anniversary

Highlights

  • साल 1904 में फ्रांस के पेरिस शहर में पैदा हुए जेआरडी टाटा
  • जेआरडी ने अपने कार्यकाल में टाटा ग्रुप की 14 नई कंपनियों की शरुआत की
  • नेहरू के कहने पर lakme की जेआरडी टाटा ने डाली नींव

JRD Tata Birth Anniversary: आज तारीख है 29 जुलाई। आज के ही दिन देश के सबसे महान उद्योगपति जेआरडी टाटा (JRD Tata) का जन्म हुआ था। साल 1904 में फ्रांस के पेरिस (Peris) शहर में पैदा हुए जेआरडी(JRD) का नाम भारत के उन उद्योगपतियों की लिस्ट में लिया जाता जिसने भारत की अर्थव्यवस्था में एक मजबूत कड़ी की भूमिका निभाई हो। इनका नाम भारत को पहली एविएशन कंपनी देने के लिए भी लिया जाता है। जेआरडी ने अपने कार्यकाल में टाटा ग्रुप की 14 नई कंपनियों की शरुआत की थी। जो आज अपने-अपने क्षेत्र में अग्रणी बनी हुई है। टाटा मोटर्स (Tata Motors), टाटा सॉल्ट (Tata Salt), टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (TCS) और टाइटन (Titan) जैसी फेमस कंपनियों की नींव उनके द्वारा ही रखी गई थी। 

गर्मी की छुट्टी मनाने गए तो लगा जहाज उड़ाने का शौक

जेआरडी टाटा का पूरा नाम जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (Jehangir Ratanji Dadabhoy Tata) है। उनके पिता का नाम आरडी टाटा है। जो टाटा ग्रुप (Tata Group) के संस्थापक जमशेदजी टाटा (Jamshedje Tata) के बिजनेस पार्टनर और रिश्तेदार थे। उनकी मां फ्रांसीसी थी। इसलिए उनका बचपन फ्रांस में ही बीता। जब वह वहां गर्मी की छुट्टियां मना रहे थे तभी उनकी मुलाकात एविएशन सेक्टर के एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसने उनके भीतर एयरक्राफ्ट और फ्लाइंग को लेकर दिलचस्पी पैदा कर दी। उस व्यक्ति का नाम Sir Louis Bleriot था। यह दिलचस्पी ने बाद में उनका शौक बन गई। जो उनके साथ उम्र भर रही। 

चार देशों पढ़ाई के बाद बिना सैलरी की नौकरी

जेआरडी टाटा (JRD Tata) पढ़ने के भी शौकीन थे। उनकी पढ़ाई भारत के अलावा फ्रांस, जापान और इंग्लैंड में भी हुई। जेआरडी का मन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) से इंजीनियरिंग करने का था, लेकिन पिता के आदेश पर उन्हें भारत आना पड़ा। दिसंबर 1925 में उन्होनें टाटा समूह को ज्वॉइन किया, जहां उनको एप्रेंटिस के तौर पर रखा गया था। इसके लिए जेआरडी (JRD) को एक भी रुपये की सैलरी नहीं मिलती थी। जेआरडी की उम्र 22 साल थी। जब उनके पिता का निधन हो गया। जिसके बाद उन्हें टाटा समूह के बोर्ड में जगह मिल गई। साल 1929 में जेआरडी ने फ्रांस की नागरिकता छोड़कर भारतीय नागरिकता ले ली थी। 

1932 में भारत को मिला पहला एविएशन

जेआरडी जब महज 15 साल के थे तभी उन्हें फ्रांस के विमान में उड़ान भरने का मौका मिला। जो बाद में भारत को पहला एविएशन कंपनी देने का कारण बना। जेआरडी टाटा ने साल 1932 में भारत की पहली एविएशन कंपनी की शुरुआत की थी तब उसका नाम टाटा एविएशन सर्विस (Tata Aviation Service) रखा गया। उस समय भारत की अपनी सरकारी या प्राइवेट एविएशन कंपनी नहीं थी। विमानन क्षेत्र मे यूरोपीय कंपनियों का बोलबाला हुआ करता था। और भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था। 

टाटा एयर सर्विस ने अपने पहली उड़ान 15 अक्टूबर, 1931 को कराची के ड्रिघ रोड हवाई अड्डे से मुंबई के जुहू हवाई पट्टी के लिए भरी थी। 1946 में टाटा एविएशन सर्विस का नाम बदलकर एयर इंडिया (Air India) कर दिया गया। जब भारत आजाद हुआ और पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) की अगुआई में सरकार बनी। तब नेहरू सरकार ने एयर इंडिया (Air India) को नेशनलाइज कर दिया। एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण के बाद भी जेआरडी टाटा चेयरमैन बने रहे। बता दें, इसी साल टाटा ग्रुप में एयर इंडिया की वापसी हुई है।

नेहरू के कहने पर lakme की टाटा ने डाली नींव

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) के साथ जेआरडी टाटा हवाई सफर कर रहे थे। तभी नेहरू ने भारतीय महिलाओं द्वारा अपने ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर विदेशी मुद्रा खर्च करने को लेकर चिंता व्यक्त की। नेहरू ने जेआरडी से कहा कि आप क्यों नहीं ब्यूटी प्रोडक्ट से जुड़ी एक कंपनी की शुरुआत करते हैं। इससे भारत को काफी फायदा होगा। जेआरडी ने नेहरू के इस बाद को व्यक्तिगत ले लिया और 1951 में टाटा ऑयल मिल(टोमको) की शुरुआत कर दी। टोमको की सौ फीसदी सब्सिडयरी कंपनी lakme की पहली चेयरपर्सन सिमोनी को बनाया गया। बाद में चलकर इसे टाटा ग्रुप ने हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Limited) के हाथों बेच दिया। 1996 में जब इस कंपनी को HUL ने खरीदा था तब उसकी कीमत 200 करोड़ थी। आज यह कंपनी एक लाख करोड़ से भी अधिक की कंपनी बन गई है। 

नेहरू के आग्रह पर चेयरमैन बने जेआरडी को मोरारजी के चलते होना पड़ा बाहर

भारत जब आजाद हुआ तब देश में इकलौती एविएशन कंपनी एयर इंडिया(Air India) थी। जिसका नेहरू के आने के बाद राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। चूंकि एविएशन कंपनी चलाने का अनुभव जेआरडी टाटा के पास था। वह एयर इंडिया को काफी अच्छी तरह से समझते थे कि कंपनी को कैसे चलाना है। इसी के चलते नेहरू ने उनको एयर इंडिया के चेयरमैन के पद पर काम करने का ऑफर दिया था। जिसे एआरडी टाटा ने स्वीकार कर लिया था। उनके हाथ से कंपनी के मालिकाना हक जाने के बाद भी वह कंपनी वैसे ही चलाते रहे जैसे पहले चलाया करते थे। लेकिन जब 1977 में भारत के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई(Morarji Desai) बनें। तब उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। कहा जाता है कि मोरारजी देसाई से उनका किसी बात को लेकर मतभेद हो गया था। जिसके बाद उन्हें चेयरमैन के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि जब इंदिरा गांधी(Indira Gandhi) सत्ता में आई तो जेआरडी को वापस से चेयरमैन बनने को कहा, लेकिन तब जेआरडी ने मना कर दिया था। 

'भारत रत्न मैं डिजर्व नहीं करता'

जेआरडी ने देश के लिए जो योगदान दिया वह अकल्पनीय है। उनकी खासियत के बारे में आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब भारत सरकार ने उनके योगदान को लेकर देश का सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' देने का ऐलान किया और इसके बारे में उनको बताया गया तब उन्होनें जो प्रतिक्रिया दी थी उसकी चर्चा काफी दिनों तक देश में होती रही थी। उन्होनें कहा था, 'मुझे क्यों? मैं ये डिजर्व नहीं करता। भारत रत्न उन लोगों को दिया जाता है जो या तो नेता होते हैं या फिर मर चुके होते हैं। मैं उन दोनों में से कोई नहीं हुं। मैं मरकर सरकार का काम आसान करने के लिए तैयार नहीं हूं।' 29 नंबर 1993 को जेनेवा (Jenwa) के एक अस्पताल में जेआरडी टाटा ने अंतिम सांस ली थी। 

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