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बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र को क्यों मिला बीते साल से कम पैसा, सरकार ने बताया कारण

वित्त वर्ष 2022-23 के बजट प्रस्तावों के अनुसार, सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर 83,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

<p>Hospital</p>- India TV Paisa Image Source : AP Hospital

Highlights

  • 2022-23 के बजट प्रस्तावों के अनुसार, सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर 83,000 करोड़ रुपये खर्च
  • स्वास्थ्य सेवा पर खर्च हालांकि बढ़ा है और यह जीडीपी के 1.3 प्रतिशत के बराबर है
  • ऐसी उम्मीद थी कि सरकार स्वास्थ्य पर खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का तीन प्रतिशत करेगी

मुंबई। वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा है कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र मुख्य रूप से राज्यों का दायित्व है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को कम बजटीय आवंटन के सवालों पर सोमनाथन ने सोमवार को यह बात कही। उल्लेखनीय है कि बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 प्रतिशत के बराबर है। सोमनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य ढांचे पर खर्च करती है। 

इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पर भी खर्च कर रही है जिससे समाज के कमजोर तबके के लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट प्रस्तावों के अनुसार, सरकार स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर 83,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। यह 2021-22 के बराबर है। हालांकि, देश में कोविड-19 महामारी अभी कायम है। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-बाद परिचर्चा में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष टी वी नरेंद्रन ने कहा था कि स्वास्थ्य सेवा पर खर्च हालांकि बढ़ा है और यह जीडीपी के 1.3 प्रतिशत के बराबर है। लेकिन ऐसी उम्मीद थी कि सरकार स्वास्थ्य पर खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का तीन प्रतिशत करेगी। 

सोमनाथन ने कहा, ‘‘इन आंकड़ों को इस दृष्टि से देखा जाना चाहिए कि स्वास्थ्य राज्यों का दायित्व होता है।’’ सोमनाथन ने कहा कि महामारी के बाद सरकार ने आपात ऋण गारंटी योजना की घोषणा की थी। इस योजना के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को 50,000 करोड़ रुपये की ऋण आपूर्ति हो सकती है। 

उन्होंने कॉरपोरेट क्षेत्र से कहा कि वह इस योजना का पूरा फायदा उठाए। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर न सिर्फ सरकार को बल्कि निजी क्षेत्र को भी काफी ध्यान देने की जरूरत है। 

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