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Hindi News पैसा बिज़नेस Go First को खरीदार खोजने के लिए मिला और 60 दिनों का समय, जानें किस कंपनी ने दिखाई रुचि

Go First को खरीदार खोजने के लिए मिला और 60 दिनों का समय, जानें किस कंपनी ने दिखाई रुचि

गो फर्स्ट ने मई 2023 में प्रैट एंड व्हिटनी की इंजन विफलताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए दिवालिया घोषित कर दिया। तब से, एयरलाइन कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं में उलझा है।

दिवालिया प्रक्रिया में 270 दिन से अधिक समय बीतेने के बाद भी कोई स्पष्ट सॉल्यूशन स्कीम नजर नहीं आ रही- India TV Paisa Image Source : FILE दिवालिया प्रक्रिया में 270 दिन से अधिक समय बीतेने के बाद भी कोई स्पष्ट सॉल्यूशन स्कीम नजर नहीं आ रही है।

लंबे समय से बंद पड़ी घरेलू एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट (पूर्व में गो एयर) के समाधान की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समय सीमा 60 दिनों के लिए बढ़ा दी गई है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने मंगलवार को यह फैसला किया है। इसके लिए एयरलाइन ने एनसीएलटी में अर्जी दी थी। भाषा की खबर के मुताबिक,  एनसीएलटी की दिल्ली स्थित दो सदस्यीय पीठ ने गो फर्स्ट के समाधान पेशेवर (आरपी) की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को पूरा करने के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई थी।

समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है गो फर्स्ट

खबर के मुताबिक, समाधान पेशेवर की तरफ से पेश हुए दिवाकर माहेश्वरी ने तर्क दिया कि अब तक तीन पक्षों ने गो फर्स्ट के लिए अपनी रुचि दिखाई है। बयाना राशि भी जमा की है। इन कंपनियों से गो फर्स्ट के लिए समाधान योजनाएं मिलने की उम्मीद है। कंपनी 10 मई, 2023 से समाधान प्रक्रिया से गुजर रही है। एनसीएलटी ने इससे पहले पिछले साल 23 नवंबर को 90 दिनों का विस्तार दिया था, जो 4 फरवरी को खत्म हो गया। बजट एयरलाइन सर्विस देने वाली स्पाइसजेट, शारजाह स्थित स्काई वन और अफ्रीकी महाद्वीप में केंद्रित कंपनी सैफ्रिक इन्वेस्टमेंट्स ने गो फर्स्ट को खरीदने में रुचि दिखाई है।

एयरलाइन कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं में उलझा

गो फर्स्ट ने अपने शुरुआती 90-दिनों के विस्तार को पूरा करने के बाद कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया के विस्तार के लिए एनसीएलटी में यह याचिका दायर की थी। गो फर्स्ट ने मई 2023 में प्रैट एंड व्हिटनी की इंजन विफलताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए दिवालिया घोषित कर दिया। तब से, एयरलाइन कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं में उलझा है, जिसमें पट्टादाताओं के साथ विवाद और एनसीएलटी के सुनवाई कार्यक्रम में लगातार बदलाव शामिल हैं। 

गो फर्स्ट का भविष्य अधर में लटका हुआ है, दिवालिया प्रक्रिया में 270 दिन से अधिक समय बीतेने के बाद भी कोई स्पष्ट सॉल्यूशन स्कीम नजर नहीं आ रही है। फिर भी, उम्मीद है कि खरीदार सामने आएंगे। लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, अरबपति नवीन जिंदल के नेतृत्व वाली जिंदल पावर की पिछली बोली को गो फर्स्ट की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद वापस ले लिया गया था।

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