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Hindi News पैसा बिज़नेस शुद्ध Direct Tax कलेक्शन ने लगाई छलांग, पहुंचा ₹10.60 लाख करोड़ के पार, टैक्सपैयर्स को इतना मिला रिफंड

शुद्ध Direct Tax कलेक्शन ने लगाई छलांग, पहुंचा ₹10.60 लाख करोड़ के पार, टैक्सपैयर्स को इतना मिला रिफंड

यह पिछले साल इसी अवधि में टैक्स कलेक्शन के मुकाबले 21.82 प्रतिशत अधिक है। डायरेक्ट टैक्स में पर्सनल इनकम टैक्स और कंपनी टैक्स शामिल है।

कंपनी टैक्स कलेक्शन 12.48 प्रतिशत और पर्सनल इनकम टैक्स 31.77 प्रतिशत बढ़ा।- India TV Paisa Image Source : PIXABAY कंपनी टैक्स कलेक्शन 12.48 प्रतिशत और पर्सनल इनकम टैक्स 31.77 प्रतिशत बढ़ा।

देशभर में नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (Net direct tax collection) चालू वित्त वर्ष (FY2024) में अबतक 22 प्रतिशत बढ़कर 10.60 लाख करोड़ रुपये रहा। यह बजट में तय लक्ष्य का 58 प्रतिशत से ज्यादा है। भाषा की खबर के मुताबिक, आयकर विभाग ने शुक्रवार को कहा कि शुद्ध रूप से कंपनी टैक्स कलेक्शन 12.48 प्रतिशत और पर्सनल इनकम टैक्स 31.77 प्रतिशत बढ़ा। लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, टैक्स रिफंड के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह (direct tax collection) 10.60 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले साल इसी अवधि में टैक्स कलेक्शन के मुकाबले 21.82 प्रतिशत अधिक है।

टैक्सपेयर्स को 1.77 लाख करोड़ रुपये किए रिफंड

खबर के मुताबिक, यह कलेक्शन वित्त वर्ष 2023-24 के लिए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन मद में निर्धारित कुल लक्ष्य का 58.15 प्रतिशत है। टैक्सपेयर्स को 1 अप्रैल से 9 नवंबर 2023 के बीच 1.77 लाख करोड़ रुपये वापस किये गए हैं। सकल आधार पर प्रत्यक्ष कर संग्रह (direct tax collection) 17.59 प्रतिशत बढ़कर 12.37 लाख करोड़ रुपये रहा। डायरेक्ट टैक्स में पर्सनल इनकम टैक्स और कंपनी टैक्स शामिल है।

कंपनी टैक्स कलेक्शन इस दौरान 7.13 प्रतिशत बढ़ा जबकि पर्सनल इनकम टैक्स 28.29 प्रतिशत बढ़ा। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 18.23 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा गया है। यह 2022-23 के 16.61 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 9.75 प्रतिशत ज्यादा है। ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स का मानना है कि केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024 में करीब 1.9 खरब रुपये मिलेंगे। यह आंकड़ा जीडीपी का 0.6 प्रतिशत है।

डायरेक्ट टैक्स लोगों की भुगतान करने की क्षमता के सिद्धांत के आधार पर लगाए जाते हैं। जिन व्यक्तियों या संस्थाओं के पास ज्यादा संसाधनों तक पहुंच है और वे ज्यादा इनकम करते हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा टैक्स का भुगतान करने की जरूरत है। डायरेक्ट नियम इस तरह बनाए गए हैं कि टैक्स देश में फंड के रीडिस्ट्रीब्यूशन का एक तरीका बन जाए।

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