A
Hindi News पैसा बिज़नेस केन्याई तेल क्षेत्र में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी अधिग्रहण के लिए ONGC को ऑयल इंडिया के रूप में नया भागीदार मिला

केन्याई तेल क्षेत्र में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी अधिग्रहण के लिए ONGC को ऑयल इंडिया के रूप में नया भागीदार मिला

सूत्रों ने बताया कि कंपनी इस सौदे में आईओसी को जोड़ना चाहती थी, जिसने इस परियोजना में रुचि दिखाई थी। महीनों तक ओवीएल-आईओसी ने परियोजना में हिस्सेदारी के लिए बातचीत की, लेकिन सौदा पूरा नहीं हो सका।

ओएनजीसी - India TV Paisa Image Source : FILE ओएनजीसी

ओएनजीसी विदेश लि.(ओवीएल) को केन्या में टुलो ऑयल पीएलसी की 3.4 अरब डॉलर की तेल क्षेत्र परियोजना में 50 प्रतिशत संभावित हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के स्थान पर ऑयल इंडिया लि.(ओआईएल) के रूप में एक नया भागीदार मिला है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, ओवीएल-ओआईएल के गठजोड़ को अब काफी आक्रामक चीन की ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी सिनोपेक से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। भारतीय कंपनियों द्वारा सौदे को अंतिम रूप देने में हुई देरी का लाभ उठाकर सिनोपेक अब इस दौड़ में शामिल हो गई है। शुरुआत में ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन की विदेश इकाई ओवीएल केन्या में लोइचार तेल क्षेत्र में टुलो, अफ्रीका ऑयल कॉर्प और टोटल एनर्जीज एसई की आधी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी ले रही थी। ओवीएल के निदेशक मंडल ने इस सौदे को मंजूरी दे दी थी। 

आईओसी ने इसपर नए सिरे से विचार शुरू किया 

सूत्रों ने बताया कि कंपनी इस सौदे में आईओसी को जोड़ना चाहती थी, जिसने इस परियोजना में रुचि दिखाई थी। महीनों तक ओवीएल-आईओसी ने परियोजना में हिस्सेदारी के लिए बातचीत की, लेकिन सौदा पूरा नहीं हो सका। उसके बाद संभवत: वित्तीय दबाव की वजह से आईओसी ने इसपर नए सिरे से विचार शुरू कर दिया। सूत्रों ने बताया कि केन्या का मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल फरवरी में ‘इंडिया एनर्जी वीक’ में भाग लेने बेंगलुरु आया था। उस समय भारतीय पक्ष ने उसे सूचित किया कि आईओसी के बजाय ओआईएल अब इस सौदे में शामिल होगी। हालांकि, इसमें भी महीनों की देरी की वजह से चीन को अवसर मिल गया। 

चीन की रुचि की वजह से भारतीय कंपनियों को ‘झटका’

सूत्रों ने बताया कि चाइना पेट्रोलियम एंड केमिकल कॉरपोरेशन (सिनोपेक) अब टुलो और परियोजना में अन्य दो भागीदारों को परियोजना में हिस्सेदारी के लेने के लिए संकेत भेज रही है। टुलो के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राहुल धीर भारतीय मूल के हैं। टुलो ने शुरुआत में इस परियोजना के लिए भारतीय गठजोड़ का समर्थन किया था, क्योंकि केन्याई परियोजना और राजस्थान के बाड़मेर क्षेत्रों में काफी समानताएं हैं।। सूत्रों ने कहना है कि चीन की रुचि की वजह से भारतीय कंपनियों को ‘झटका’ लग सकता है क्योंकि उसका अफ्रीकी राष्ट्र पर काफी प्रभाव है। फिलहाल इस परियोजना में टुलो की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। अफ्रीका ऑयल और टोटलएनर्जीज एसई के पास 25-25 प्रतिशत हिस्सेदारी है। 

Latest Business News