A
Hindi News पैसा बिज़नेस RBI Alert: क्रिप्टोकरेंसी है चिट फंड स्कीम से भी बुरा, रातों-रात हो सकते हैं कंगाल

RBI Alert: क्रिप्टोकरेंसी है चिट फंड स्कीम से भी बुरा, रातों-रात हो सकते हैं कंगाल

कई विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी से पैसा 31 मार्च तक निकाल लेना चाहिए। उससे बाद 30 फीसदी की दर से टैक्स भी देना होगा।

<p>bitcoin</p>- India TV Paisa Image Source : FILE bitcoin

Highlights

  • क्रिप्टोकरेंसी, पोंजी स्कीम (चिट फंड) से भी बुरा: डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर
  • क्रिप्टोकरेंसी देश की वित्तीय संप्रुभता के लिए खतरा
  • क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर घोर अनिश्चितता

नई दिल्ली। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले निवेशकों को एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर (RBI Deputy Governor) ने अलर्ट किया है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी, पोंजी स्कीम (चिट फंड) से भी बुरा है। उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी (Cryptocurrency Ban) लगाने की वकालत करते हुए कहा कि यह देश की वित्तीय संप्रुभता के लिए खतरा है।

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर घोर अनिश्चितता

भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर घोर अनिश्चितता है। वित्त मंत्री ने निर्मला सीतारमण ने आम बजट में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर लौटरी की तरह ही 30 फीसदी की दर से टैक्स लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद भी उन्होंने इसे कानूनी नहीं बताया था। फिर उसके बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI governor Shaktikanta Das) ने भी क्रिप्टोकरेंसी लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि यह व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए हानिकारक हैं। केंद्र सरकार भी इसको लेकर बिल ला रही है। ऐसे में निवेशकों को अभी से सावधान होने की जरूरत है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी से पैसा 31 मार्च तक निकाल लेना चाहिए। उससे बाद 30 फीसदी की दर से टैक्स भी देना होगा। अगर बैन का फैसला होता है तो निवेशकों को बड़ा नुकसान होगा। 

इससे पहले ट्यूलिप मैनिया से तुलना 

हाल ही में मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर दास ने क्रिप्टोकरेंसी की तुलना ट्यूलिप मैनिया करते हुए कहा था कि इसका कोई आधार नहीं। आखिरखर, ट्यूलिप मैनिया क्या था। दरअसल, ट्यूलिप मैनिया एक दिलचस्प वित्तीय घटना है। साल 1550 के तुरंत बाद तुर्की से ट्यूलिप यूरोप पहुंचा। 1550 से 1637 के बीच ट्यूलिप का यूरोप में जबरदस्त जलबा, भारी मांग, बेहत सीमित आपूर्ति से इसकी कीमत आसमान पर पहुंच गई। ब्रिटैनिका की माने तो दहेज से लेकर शराब की एक भट्टी के लेन-देन में ट्यूलिप की नई किस्म बना आधार। 1633-37 के बीच हॉलैंड में ट्यूलिप के सट्टेबाजी के लिए लोगों ने अपने घर-बार तक बेच दिए। दुर्लभ प्रजाति के एक फूल के लिए तो सैकड़ों डॉलर के दांव लगें। इसके बाद 1637 में इसकी कीमत धड़ाम हो गई। इससे कई परिवार बर्बाद हो गए। वित्तीय क्षेत्र में बुलबुला फूटने की यह शायद पहली घटना थी। 

Latest Business News