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Hindi News पैसा बिज़नेस डिजिटल युग के बीच क्या गायब हो जाएगा स्टेशनरी का बाजार? देश में दिख रहे हैं अच्छे संकेत

डिजिटल युग के बीच क्या गायब हो जाएगा स्टेशनरी का बाजार? देश में दिख रहे हैं अच्छे संकेत

Digital India: बड़ी आबादी वाले भारतीय बच्चों की शिक्षा के संबंध में समाज का एक तबका पूरी तरह डिजिटल हो रहा है, जबकि बड़ी संख्या में अभिभावक जरूरत के स्टेशनरी उत्पाद खरीदने में भी सक्षम नहीं हैं।

Stationery market disappear in the digital age Indian market is giving good signals- India TV Paisa Image Source : FILE डिजिटल युग के बीच क्या गायब हो जाएगा स्टेशनरी का बाजार

Stationery Market: डिजिटल युग आने के बावजूद भारत में प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी की भारी मांग है। नोटबुक, पाठ्यपुस्तकें, पेंसिल, इरेजर, पेन आदि जैसे उत्पादों की मांग बच्चों के शैक्षणिक सफर के दौरान बनी रहती है। गाला ग्लोबल प्रोडक्ट लिमिटेड का प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी क्षेत्र में प्रमुख स्थान है, जो तीन दशक से ज्यादा भारतीय बच्चों को शैक्षणिक उत्पाद मुहैया कर रहा है। दो मूल कंपनियों(गाला प्रोडक्ट्स एवं गाला प्रिंट सिटी) के आपसी विलय से बना गाला ग्लोबल प्रोडक्ट इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाते हुए भारत के कई राज्यों, विशेषकर गुजरात में घरेलू नाम बनता जा रहा है।

कोविड संकट से प्रभावित हुआ था ये सेक्टर

हालांकि दुनिया के दूसरे उद्यमों की तरह गाला ग्लोबल प्रोडक्ट को भी 2020 की शुरूआत में कोविड संकट के प्रभाव का सामना करना पड़ा था। जिस तरह स्कूल एवं कॉलेज ने अपने क्रियाकलापों को रोक दिया और शैक्षणिक क्षेत्र ठप हो गये, इसका असर गाला उत्पादों की मांग पर भी दिखने लगा। इसलिये विशाल और उनकी टीम को नुकसान से बचने के लिये कुछ समय के लिये एक विराम लेना पड़ा। अब जबकि दुनिभर में संस्थाओं ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है और शिक्षा क्षेत्र पटरी पर लौटने लगा है, गाला ग्लोबल उत्पाद पुनः सक्रियता से बाजार में आने के लिये तैयार है। उद्योग में इसे बड़ा बनाने के उद्येश्य के साथ गाला, अब समाज को कुछ वापस देने के लिये काम कर रहा है। स्टेशनरी एवं शैक्षणिक उत्पाद निर्माता ने समाज के वंचितो एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को कम कीमत में उत्पाद मुहैया करने की अपनी कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी अपनायी है।

Image Source : Fileगाला ग्लोबल प्रोडक्ट

कंपनी नई पहल पर कर रही काम

बड़ी आबादी वाले भारतीय बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिये संघर्ष करते देखकर विशाल की इच्छा उन्हें शिक्षित करने के लिये अपनी पूरी मदद देना है। वह कहते हैं कि बच्चो की शिक्षा के संबंध में समाज का एक तबका पूरी तरह डिजिटल हो रहा है, जबकि बड़ी संख्या में अभिभावक अब भी जरूरत के स्टेशनरी उत्पाद खरीदने में भी सक्षम नहीं हैं। गाला ग्लोबल प्रोडक्ट की हमारी टीम इस बात में भरोसा करती है कि हर बच्चे को अपने जीवन में सपने को जीने एवं औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने का हक है। हमारे एमआरपी में कटौती, बच्चों की मदद के लिये छोटी सी पहल है, जिससे पैसे को कारण उनके भविष्य निर्माण में आने वाली बाधा को रोका जा सके। बता दें कि विशाल मूलचंदभाई गाला ने 18 वर्ष की उम्र में गाला ग्लोबल प्रोडक्ट की नींव रखी थी। युवावस्था में ही उद्यमशीलता में निपुण विशाल ने अपने चाचा के बिना शर्त सहयोग से संस्था की कमान संभाली। किशोरावस्था में ही अपने माता-पिता को खोने के बावजूद विशाल ने कॉरपोरेट जगत की सीढ़ियां चढ़ी और 2019 में पहली बार गाला ग्लोबल प्रोडक्ट को 100 करोड़ टर्न ओवर का कारोबार बनाया। लूज लीफ पैड्स बनाने से प्रिंटिंग उद्यम की शुरूआत से लेकर शैक्षणिक उत्पाद बनाने में गाला प्रोडक्ट का भाग्य बनाने में विशाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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