A
Hindi News पैसा बिज़नेस होम-कार लोन की EMI घटने का बढ़ेगा इंतजार, खाने-पीने के सामान काफी महंगा होने पर आरबीआई ने कही ये बातें

होम-कार लोन की EMI घटने का बढ़ेगा इंतजार, खाने-पीने के सामान काफी महंगा होने पर आरबीआई ने कही ये बातें

उआरबीआई ने पिछले साल फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से मुद्रास्फीति में आई तेजी के बीच ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी कर इसे 6.50 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है।

होम-कार लोन की EMI- India TV Paisa Image Source : FILE होम-कार लोन की EMI

होम-कार लोन समेत दूसरे सभी तरह के लोन की ईएमआई घटने का इंतजार लंबा हो सकता है। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने खाने-पीने के सामान की कीमतों में बढ़ोतरी को महंगाई पर काबू पाने के रास्ते में जोखिम बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे झटकों में कमी लाने के लिए आपूर्ति सुधारने के लिए समयबद्ध प्रयासों की जरूरत है। आपको बता दें कि जुलाई में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44% पर पहुंच गई। सब्जियों समेत तमाम जरूरी सामान की कीमत बढ़ी हुई है। आगे त्योहारी सीजन शुरू हो रहा है जो कीमत में बढ़ोतरी का काम करेगा। ऐसे में जल्द महंगाई से राहत​ मिलने की उम्मीद है। इस पर आर्थिक क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि होम-कार लोन समेत तमाम तरह के लोन की ईएमाअई घटने का इंतजार बढ़ेगा। महंगाई बेकाबू होने पर आरबीआई ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा। यानी लोन सस्ता होने का कोई चांस अभी नहीं है। 

महंगाई को लेकर आरबीआई सजह 

दास ने यहां 'ललित दोषी स्मृति व्याख्यान' देते हुए कहा कि सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी का झटका अल्पकालिक है और मौद्रिक नीति मौजूदा झटकों के शुरुआती प्रभावों को कम करने के लिए इंतजार कर सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि आरबीआई इसके लिए सजग रहेगा कि इन झटकों के दूसरे दौर के प्रभाव न सामने आएं। उन्होंने कहा, खाद्य कीमतों में बार-बार हो रही बढ़ोतरी का झटका मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को स्थिर करने के लिए जोखिम पैदा करता है। खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी का दौर सितंबर, 2022 से ही चल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने आपूर्ति पक्ष से जुड़े सतत एवं समयबद्ध हस्तक्षेप को भी इस तरह के झटकों की गंभीरता एवं अवधि कम करने के लिए जरूरी बताया। 

महंगाई को 4% पर लाने का लक्ष्य 

उन्होंने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है और देश में ऊंची ब्याज दरें लंबे समय तक रहने वाली हैं। आरबीआई ने पिछले साल फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से मुद्रास्फीति में आई तेजी के बीच ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी कर इसे 6.50 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है। आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए ऐसा किया है। 

Latest Business News