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Hindi News पैसा गैजेट मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन क्या है और क्या आपको इसका इस्तेमाल करना चाहिए?

मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन क्या है और क्या आपको इसका इस्तेमाल करना चाहिए?

इन दिनों हैकर्स हैकिंग के नए नए तरीके अपना रहे हैं। इसलिए हमें भी सिक्योरिटी बढ़ाने की जरूरत है।

हैकर्स - India TV Paisa Image Source : PTI/REPRESENTATIVE हैकर्स

इन दिनों हैकर्स हैकिंग के नए नए तरीके अपना रहे हैं। इसलिए हमें भी सिक्योरिटी बढ़ाने की जरूरत है। एक समय था जब सिक्योरिटी के लिए हम पिन और पासवर्ड का इस्तेमाल करते थे। इसके बाद टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन आ गया,लेकिन अब समय मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का है। इसमें बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन करने की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं मल्टी- फैक्टर ऑथेंटिकेशन कैसे करता है काम। 

टेक्नोलॉजी के इस दौर में अब सिंपल पासवर्ड सिक्योरिटी के हिसाब से सही नहीं है। हैकर्स ने इतने तरीके निकाल लिए हैं हैकिंग करने के, जिसके बारे में हम और आप सोच भी नहीं सकते हैं। इसलिए हमें भी अब अधिक सतर्क रहने की जरूरत है ताकि हमारा बैंक अकाउंट के साथ साथ पर्सनल डाटा भी सुरक्षित रह सके।
इन दिनों हम प्रोटेक्शन के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन आ चुका है जिसमें हम अपनी सिक्योरिटी के लिए यूज कर सकते हैं।

क्या है मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन-

मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन एक इलेक्ट्रॉनिक ऑथेंटिकेशन मेथड है, जिसके लिए यूजर को किसी वेबसाइट, नेटवर्क या एप्लिकेशन तक पहुंच की अनुमति देने से पहले आईडेंटिटी वेरीफिकेशन के लिए दो या उससे भी अधिक तरीका अपनाना होगा।

मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) के तीन मुख्य प्रकार हैं। पहला जो सभी जानते हैं। इसमें पासवर्ड, पिन शामिल हैं। दूसरा प्रकार वह है जो आपके पास है यानि फिजिकल सिक्योरिटी। इनमें- Key या स्मार्ट कार्ड हो सकता है। और तीसरे टाइप में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन इंक्लूड है- इसमें फिंगरप्रिंट, रेटिना स्कैन या आवाज की आइडेंटिटी इस्तेमाल होती है।

कैसे काम करता है मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन-
मान लीजिए कि आप अपने वर्क अकाउंट में अपना नाम और पासवर्ड एंटर करते हैं। अगर आपको लॉगइन करने के लिए सिर्फ नाम और पासवर्ड की जरूरत है तो अगर किसी को आपका नाम और पासवर्ड पता है तो वो आसानी से आपका नाम इस्तेमाल कर साइन इन कर सकता है।

लेकिन अगर आप मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करते हैं, तो चीजें और दिलचस्प हो जाती हैं। पहली बार जब आप किसी डिवाइस या ऐप पर साइन इन करते हैं तो आप अपना यूजर नेम और पासवर्ड हमेशा की तरह दर्ज करते हैं। इसके बाद आपको बायोमेट्रिक आइडेंटिटी दर्ज करनी होती है जिसे हैक नहीं किया जा सकता है।

अब जानते हैं मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के बारे में इंपोर्टेंट बात
बहुत से लोग इस बात से परेशान हैं कि ये पूरा प्रोसेस असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। आप इसका इस्तेमाल पहली बार किसी डिवाइस में साइन अप करने के लिए किया जा सकता है। इसके बाद आप इसका दोबारा इस्तेमाल पासवर्ड बदलते समय कर सकते हैं। बाकी नॉर्मल डेज में आप केवल प्राइमरी फैक्टर यूज कर सकते हैं, जैसे आप युजवली करते हैं।
मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन सिर्फ काम या स्कूल के लिए नहीं है। आपके बैंक से लगभग हर ऑनलाइन सर्विस, आपका पर्सनल ईमेल, आपके सोशल मीडिया अकाउंट को सेफ रखने में मददगार साबित होता है। 

 

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