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Hindi News पैसा बाजार शेयर बाजार में बढ़त से रुपया मजबूत, डॉलर के मुकाबले छह पैसे सुधर कर 74.28 पर बंद

शेयर बाजार में बढ़त से रुपया मजबूत, डॉलर के मुकाबले छह पैसे सुधर कर 74.28 पर बंद

डॉलर के मुकाबले रुपया आज 74.36 के स्तर पर खुला तथा कारोबार के दौरान 74.21 के उच्च स्तर और 74.36 के अपने निम्न स्तर तक पहुंचा।

<p>डॉलर के मुकाबले...- India TV Paisa Image Source : PTI डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती

नई दिल्ली।  घरेलू शेयर बाजार में मजबूती और कमजोर अमेरिकी डॉलर के बीच विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को रुपया छह पैसे की तेजी के साथ 74.28 प्रति डालर पर बंद हुआ। बाजार सूत्रों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत फैसले अमेरिकी गैर-कृषि वेतनभोगी आंकड़ों से पहले रुपये में बेहद सामित दायरे में उतार चढ़ाव देखने को मिला । 

कैसा रहा आज का कारोबार
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सुबह रुपया 74.36 के स्तर पर खुला तथा कारोबार के दौरान 74.21 के उच्च स्तर और 74.36 के अपने निम्न स्तर तक पहुंचा। यानि दिन के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में 15 पैसे के दायरे में कारोबार देखने को मिला।  कारोबार के अंत में घरेलू करंसी पिछले सत्र के मुकाबले छह पैसे की तेजी के साथ 74.28 प्रति डॉलर पर बंद हुई। सोमवार को विनिमय दर 74.34 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई थी। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 91.98 रह गया। वहीं, बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 872.73 अंक की तेजी के साथ 53,823.36 अंक पर बंद हुआ। वैश्विक वायदा बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 0.80 प्रतिशत बढ़कर 73.47 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने सोमवार को 1,539.88 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की। 

साल के अंत तक 77 तक पहुंचने की आशंका
शेयर बाजार में तेजी के विपरीत हाल के महीनों में रुपया ज्यादातर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी डॉलर- भारतीय रुपये का परिदृश्य 73.50 के स्तर से साथ अल्पकाल के लिए मंदा बना हुआ है। लंबी अवधि में यह गिरकर 75.50-76 के स्तर तक जा सकता है और साल के अंत तक ये 77 के स्तर को भी छू सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक आगे रुपये की चाल तय करने में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों को लेकर नीति फैसले और बाइडन प्रशासन के चीन के प्रति रुख की अहम भूमिका होगी।।

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