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Hindi News पैसा बाजार भारतीय बाजार के अचानक से क्यों दीवाने हो गए विदेशी निवेशक? हर रोज खरीद रहे 1,000 करोड़ रुपये के शेयर

भारतीय बाजार के अचानक से क्यों दीवाने हो गए विदेशी निवेशक? हर रोज खरीद रहे 1,000 करोड़ रुपये के शेयर

Indian Stock Market Big Updates: भारतीय शेयर बाजार के अच्छे दिन चल रहे हैं। विदेशी निवेशक काफी सारा पैसा इंडियन स्टॉक मार्केट में लगा रहे हैं। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है?

Indian Stock Market- India TV Paisa Image Source : INDIA TV Indian Stock Market

FII in India Increase: शेयर बाजार उतार-चढ़ाव का खेल है। कभी सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में कारोबार करते हैं तो किसी दिन निवेशकों की कमाई को ग्रीन सिग्नल देते हुए बिजनेस बंद कर देते हैं। हर रोज कई लोग मालामाल तो कितने बर्बाद हो जाते हैं, लेकिन FII को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई है। वह वाकई चौंकाने वाली है। FII यानि विदेशी निवेशक इन दिनों भारतीय शेयर बाजार में रिकॉर्ड खरीदारी कर रहे हैं। 2022 और ज्यादातर 2023 में भारी बिकवाली के बाद एफआईआई ने एक बार फिर भारतीय शेयरों के साथ फ्लर्ट करना शुरू कर दिया है। पिछले 10 कारोबारी सत्रों में औसत दैनिक एफआईआई खरीदारी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक रही है। एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चलता है कि 28 मार्च से दलाल स्ट्रीट पर शुद्ध एफआईआई प्रवाह लगभग 10,581 करोड़ रुपये रहा है। कोई आश्चर्य नहीं, पिछले 9 दिनों में निफ्टी भी 5% से अधिक चढ़ा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब विदेशी निवेशक लगाातर भारत से पैसा पिछले कुछ महीनों से निकाल रहे थे तो अब अचानक से इंडिया के प्रति उनका प्यार क्यों इतना उमड़ने लगा है? आज हम ये भी जानेंगे कि क्या इससे भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ेगा?

इस वजह से हो रहा है भारत में निवेश

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट को लेकर चिंता कम होने के बीच वैश्विक परिदृश्य स्थिर हुआ है। इस वजह से भारत में एफपीआई का प्रवाह बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भारत में शेयरों का मूल्य अब उचित स्तर पर आ गया है, जिसकी वजह से एफपीआई यहां पैसा लगा रहे हैं। एफपीआई ने इससे पहले 2022-23 में भारतीय शेयर बाजारों से 37,631 करोड़ रुपये निकाले थे। वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक तरीके से दरें बढ़ाने के बीच एफपीआई बिकवाल रहे थे। 2021-22 में एफपीआई ने भारतीय बाजार से 1.4 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड निकासी की थी। वहीं 2020-21 में एफपीआई ने शेयरों में 2.7 लाख करोड़ रुपये और 2019-20 में 6,152 करोड़ रुपये डाले थे। अप्रैल में अब तक एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार से 1,085 करोड़ रुपये निकाले हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जैसे अमेरिका में फेड के ब्याज दरों में बदलाव करने से शेयर बाजार पर असर पड़ता है वैसे ही भारत के आरबीआई के द्वारा रेपो रेट में बदलाव करने से होता है। हाल ही में जब रेपो रेट की बैठक हुई थी तब ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया था। एक्सपर्ट तभी यह अंदाजा लगा रहे थे कि अब विदेशी निवेश बढ़ेगा।

फिर से बढ़ेगी ब्याज दर

वॉल स्ट्रीट के व्यापारियों को 2-3 मई की बैठक में फेड द्वारा ब्याज दरों में और 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की 78% संभावना दिखाई दे रही है, क्योंकि महंगाई अपेक्षा से अधिक स्थिर साबित हो रही है। इनक्रेड अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स के ऋषि कोहली को उम्मीद है कि चुनाव पूर्व सकारात्मकता आने से पहले एफआईआई कुछ और महीनों के लिए सतर्क रुख अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर एफआईआई प्रवाह बाजार की गति से अत्यधिक सहसंबद्ध हैं। इसलिए जैसे-जैसे ऊपर की गति बढ़ती है, वे निश्चित रूप से बड़े पैमाने पर वापस आएंगे। मार्च महीने के आंकड़ों से पता चलता है कि एफआईआई ने बिजली, धातु, ऑटो और पूंजीगत सामान खरीदे लेकिन तेल और गैस और आईटी शेयरों को बेच दिया।

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