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Hindi News पैसा फायदे की खबर इंदिरा गांधी के इस फैसले से तय हुआ कि गुलाबी होगा 20 का नोट

इंदिरा गांधी के इस फैसले से तय हुआ कि गुलाबी होगा 20 का नोट

इंदिरा गांधी के दौर में एक शादी के कार्ड से तय हुआ था 20 रुपए के नोट का कलर और डिजाइन। पूरी कहानी जानने के लिए पढ़े खबर इंडियाटीवी।

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नई दिल्ली: 20 रुपए के नोट को देखकर क्या आपने कभी सोचा है कि भारत की टकसालों और छापेखानों में छपने वाले हर नोट का अलग रंग क्यों होता है? कभी सोचा है कि 5 रुपए का नोट हरा, 10 रुपए का नोट लाल और 20 रुपए का नोट गुलाबी ही क्यों होता है? आज हम अपनी खबर में आपको यह बताएंगे कि आखिर कैसे 20 रुपए के नोट के लिए गुलाबी रंग को चुना गया। दरअसल इस पूरी कहानी को जानने के लिए इतिहास की कुछ पर्तों को पलटना होगा।

ऐसा नहीं है कि रंगीन करेंसी सिर्फ भारत में छापी जाती है, अन्य देशों में छपने वाले नोट भी अलग अलग डिजायन और रंग के होते हैं। अलग अलग तरह के नोट में ऊपरी सतह और बैकग्राउंड के अलग अलग रंग के कारण नोटों की पहचान करना आसान हो जाता है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत के लोग रंगों में काफी ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं और काफी सारे लोगों ने नोटों के रंग को लेकर गहन शोध किया है। 20 रुपए के नोट के लिए गुलाबी रंग के चयन के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। मुंबई के रहने वाले दिलीप कांवरे ने इस पूरी कहानी को बताने की कोशिश की है।

बात उन दिनों की है जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री हुआ करती थीं। उन्होंने आला अधिकारियों और टकसालों के मुखिया को बुलाया था। यह बैठक इसलिए की गई थी ताकि 20 रुपए के नोट को बाजार में लाया जा सके। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव पी डी कासबेकर इस अहम फैसले के प्रमुख गवाह थे। इस बैठक में 20 रुपए के नोट के लिए गुलाबी रंग के मिश्रण का चयन किया गया था।

इस बैठक में काफी सारे लोग भारी भरकम फाइल और नोटों की डिजायन लेकर आए थे ताकि वो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दिखा सकें, जिससे नोट के रंग और डिजायन पर कोई अंतिम फैसला लिया जा सके। उन दिनों नाइलॉन का काफी क्रेज था। आज के दौर के जो भी लोग 60 की उम्र को पार कर चुके हैं उनसे इसकेे बारे में पूछा जा सकता है। उन दिनों यह स्टेट्स सिंबल माना जाता था।

बैंकिंग सेक्टर में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात कासबेकर ने उस दिन बैठक में नायलॉन की शर्ट पहनी थी। दिलीप कांवरे जिनके पास उस पूरी बात का ऑडियो-विजुअल दस्तावेज है जिसमें कासबेकर ने इसके बारे में विस्तार से बताया था। इस बैठक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लगातार कासबेकर की जेब की तरफ देख रही थीं…उनकी निगाहें कासबेकर की जेब पर ही जम गईं थीं। बाकी सब लोगों की तरह कासबेकर भी थोड़ा हैरान परेशान से थे। सभी को यह लग रहा था कि मानो मैडम किसी बात से नाराज हैं।

लेकिन दिलचस्प रुप से इंदिरा गांधी ने कासबेकर से उनकी जेब में रखे रंगीन लिफाफे को बाहर निकालने को कहा। कासबेकर ने बिना कुछ पूछ उन्हें वह लिफाफा थमा दिया। इंदिरा गांधी ने अपना चेहरा ऊपर किया और कहा कि यह रंग और डिजायन मुझे पसंद है। मीटिंग खत्म हुई और नोट का रंग तय हो गया। कासबेकर की जेब में एक शादी का निमंत्रण कार्ड था, जो कि गुलाबी रंग का था और उसमें भगवा और लाल रंग का मिश्रण भी शामिल था।

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