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Digitally Insured: एक क्लिक में मिलेगी सभी इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी, ऐसे करें रिपॉजिटरी का इस्‍तेमाल

इंश्योरेंस करवाने से भी जरूरी है उसके कागजात को संभाल के रखना। अक्‍सर हम कागज गुम कर देते हैं, जिससे वास्‍तव में जरूरत के समय मुश्किल झेलनी पड़ती है।

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 नई दिल्लीगुड़गांव में रहने वाले सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल कार्तिक की पत्‍नी स्‍वाति घर आते वक्‍त एक्‍सीडेंट का शिकार हो गईं। उन्‍हें आनन-फानन में हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। करीब 15 दिनों तक इलाज करवाने के बाद स्‍वाति स्‍वस्‍थ हो गईं। कार्तिक ने अपने और पत्‍नी के नाम से हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी ले रखी थी। उन्‍हें भरोसा था कि हॉस्पिटल के करीब सवा लाख रुपए के बिल का भुगतान हेल्‍थ पॉलिसी से हो जाएगा। लेकिन कार्तिक के सामने एक बड़ी समस्‍या खड़ी हो गई। उनके हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के कागज कहीं गुम हो गए थे। उनके पास न तो एजेंट का नंबर था और न हीं अपनी पॉलिसी डिटेल। कार्तिक जैसी मुश्किल में आप भी कभी न कभी फंस सकते हैं। आज इंवेस्‍टमेंट, सुरक्षा और टैक्‍स सेविंग के लिए हम कई प्रकार की जीवन बीमा और हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी ले तो लेते हैं। लेकिन इनके पॉलिसी डॉक्‍यूमेंट को संभालना बहुत मुश्किल होता है। यही ध्‍यान में रखते हुए इंडियाटीवी पैसा की टीम आज आपको बताने जा रही है ई-इंश्‍योरेंस अकाउंट या फिर रिपोजिटरी के बारे में। जिसके माध्‍यम से आप ऑनलाइन अपने डॉक्‍यूमेंट संभाल के रख सकते हैं।

क्या होता है ई- इंश्योरेंस या रिपॉजिटरी

ई-इंश्‍योरेंस एक तरह से इंश्‍योरेंस के लिए आपका डीमैट अकाउंट होता है। जैसे हम अपने सभी शेयर और म्‍युचुअल फंड डीमैट खाते में रखते हैं, उसी तरह सभी प्रकार की इंश्‍योरेंस पॉलिसियों को एक जगह पर रखने के लिए आईआरडीए ने ई-इंश्‍योरेंस की सुविधा दी है। यहां आपकी सभी पॉलिसियां इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में रखी जा सकती हैं, जिसे इलेक्ट्रॉनिक इंश्योरेंस अकाउंट (ईआईए) कहा जाता है।

क्या हैं इसके फायदे

रिपॉजिटरी के जरिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के कई फायदे हैं। इसके जरिए बीमा धारक अपनी सभी पॉलिसियों को एक इलेक्ट्रिानिक फार्म में रख सकता है। बीमा पॉलिसी के कागजातों को गुम होने पर कोई समस्या नहीं होती। एक क्लिक में सभी पॉलिसियों का विवरण प्राप्त किया जा सकता है। सभी पॉलिसियों का ऑनलाइन भुगतान भी किया जा सकता है। पॉलिसी से संबंधी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कराई जा सकती है। बीमा कंपनी के ऑफिस में चक्कर लगाए वगैर पॉलिसी से जुड़े सेवा को प्राप्त किया सकता है।

कौन-कौन सी हैं इंश्योरेंस रिपॉजिटरी

वर्तमान में आईआरडीए ने इंश्योरेंस रिपॉजिटरी (आईआर) के रूप में एनएसडीएल डेटाबेस मैनेजमेंट लि. (www.nir.ndml.in), सेंट्रल इंश्योरेंस रिपॉजिटरी लि. (www.cirl.co.in), एसएचसीआईएल प्रोजेक्ट्स लि. (www.shcilir.com), कार्वी इंश्योरेंस रिपॉजिटरी लि.(www.kinrep.com) और सीएएमएस रिपॉजिटरी सर्विसेज लि. (www.camsrepository.com) को रजिस्‍टर्ड लाइसेंस दिया गया है।

ईआईए खोलने की प्रक्रिया

  • पॉलिसी होल्डर ईआईए के लिए अपनी बीमा कंपनी से संपर्क कर सकता है। यहां आवेदन करने के लिए एक फॉर्म भरना होगा। यह फॉर्म इंश्योरेंस कंपनी या फिर इंश्योरेंस रिपॉजिटरी के पास रहता है।
  • बीमाधारक को केवायसी भी करवाना होगा। यदि ईसीएस या एनईएफटी सेवा लेना है तो आईएफएससी कोड आदि भी देना होंगे।
  • केवल एक ही खाता किसी भी पॉलिसीधारक द्वारा इंश्योरेंस रिपॉजिटरी के साथ खुलवाया जा सकता है। आईआर की सत्यापन प्रणाली होती है, इसमें वे यह देख सकते हैं कि पॉलिसीधारक के पास इलेक्ट्रॉनिक इंश्योरेंस अकाउंट है या नहीं। यदि है तो आवेदन निरस्त कर देते हैं।
  • इन दस्तावेजों के सत्यापन के बाद इलेक्ट्रॉनिक इंश्योरेंस अकाउंट पॉलिसीधारक के नाम से खोल सकते हैं। प्रत्येक ई-इंश्योरेंस अकाउंट में यूनिक अकाउंट नंबर रहता है। प्रत्येक अकाउंट होल्डर को यूनिक लॉगिन आईडी और पासवर्ड देते हैं, ताकि वे पॉलिसी को ऑनलाइन देख सके।

कैसे करें ईआईए का उपयोग

इलेक्ट्रॉनिक इंश्योरेंस अकाउंट खोलने में पैसा नहीं लगता है। आईआरएस द्वारा आपकी पॉलिसी के मैंटेनेंस की भी कोई लागत नहीं आती है। हर साल पॉलिसी का ब्योरा ईआईए के तहत पॉलिसीधारक को दिया जाता है। ईआईए को एक आईआर से दूसरे आईआर में बदला जा सकता है। एक पॉलिसीधारक तमाम पॉलिसी एक ईआईए में रख सकता है।

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