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आखिरी समय में बचाना है टैक्स, 31 मार्च से पहले इन टैक्स सेविंग विकल्पों पर कीजिए गौर

हम यहां आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिनके साथ आप अंतिम समय में निवेश कर टैक्स बचा सकते हैं।

<p>Tax Planing</p>- India TV Paisa Image Source : PTI Tax Planing

Highlights

  • कम लॉक-इन पीरियड वाला विकल्प तलाश रहे हैं, तो ELSS है मददगार
  • सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं
  • आपकी टैक्स देनदारी अभी भी बची है तो आपको बचत करने का आखिरी मौका है

मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 31 मार्च, 2022 को खत्म हो रहा है। यदि आपकी टैक्स देनदारी अभी भी बची है तो आपको बचत करने का आखिरी मौका है। 31 मार्च तक यदि आपने टैक्स सेविंग विकल्पों में निवेश नहीं किया तो आपको पूरा टैक्स भरना पड़ेगा। हम यहां आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं जिनके साथ आप अंतिम समय में निवेश कर टैक्स बचा सकते हैं।

धारा 80सी के तहत यहां निवेश कर बचा सकते हैं टैक्स

कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस), जीवन बीमा प्रीमियम, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) जैसे स्वीकृत अवसरों के लिए दिए गए वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक का योगदान। ट्यूशन फीस, सुकन्या समृद्धि योजना (लड़कियों पर केंद्रित एक बचत योजना), राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस), इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) और गृह ऋण मूलधन चुकौती व्यक्ति की आय से कटौती योग्य है। हालांकि बहुत सारे प्रतिस्पर्धी रास्ते हैं, उन पर ध्यान से देखने से आपको अपने करों की बेहतर योजना बनाने में मदद मिल सकती है।

ELSS है शानदार जरिया

टैक्स सेविंग के बारे में सोच रहे हैं और कम लॉक-इन पीरियड वाला विकल्प तलाश रहे हैं, तो ELSS मददगार साबित हो सकती है। ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स (ELSS)। कई लोग ELSS को टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड स्कीम भी कहते हैं। ELSS में निवेश कर एक वित्त वर्ष में आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।

टैक्स बचाने वाले इंश्यॉरेंस

आप स्वास्थ्य बीमा (हेल्थ इंश्योरेंस) करवाकर भी टैक्स बचा सकते हैं। आपके द्वारा भुगतान किए जा रहे ऐनुअल हेल्थ इंश्यॉरेंस प्रीमियम पर आप इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80D के तहत टैक्स में 25 हजार रुपए तक की छूट प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रीमियम इंश्यॉरेंस पर लागू होता है, जिसे आप अपने या अपने परिवार के लिए खरीदते हैं, जहां सभी 60 वर्ष से कम उम्र के हों। इसके अतिरिक्त, यदि आपके माता-पिता 60 वर्ष से अधिक उम्र के हों, तो आप उनकी हेल्थ इंश्यॉरेंस पॉलिसी का भुगतान करते समय 50 हजार रुपए तक की छूट का दावा कर सकते हैं। यदि आप और आपके माता-पिता 60 वर्ष से अधिक उम्र के हों, तो आप 1 लाख रुपए तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।

लोन के जरिए

इस प्रावधान के तहत अगर आपने होम लोन ले रखा है, तो वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले अपना रिपेमेंट शुरू करते हैं तो आप इस आधार पर टैक्स में छूट का दावा कर सकेंगे। होम लोन के लिए आप आयकर अधिनियम के सेक्शन 24 के तहत ब्याज पर एक वर्ष में 2 लाख रुपये तक का दावा कर सकते हैं और आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत मूल रिपेमेंट पर एक वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक का दावा कर सकते हैं।

दान से टैक्स बचा सकते हैं

आप इनकम टैक्स ऐक्ट की मान्य संस्थाओं को अपनी आय का एक हिस्सा दान कर सकते हैं। ये चैरिटेबल संस्थाएं हो सकती हैं या एक राहत कोष हो सकता है। दान वहीं करें, जहां से आपको टैक्स छूट मिल सकती है। आप छूट के तौर पर राशि के 100% या 50% का दावा कर सकते हैं।

पैरंट्स ट्रीटमेंट पर खर्च पर भी छूट

अपने पैरंट्स की चिकित्सा पर होने वाले खर्च का वहन करें। बुजुर्ग पैरंट्स (60 साल की उम्र से ऊपर) की चिकित्सा पर बार-बार खर्च होना लाजिमी है। एसे में अगर आप उनकी चिकित्सा पर खर्च करते हैं, तो आपको हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाले टैक्स छूट की तरह ही छूट मिलती है। अधिकतम छूट 50 हजार रुपये है पर अगर आपने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखा है, तो इस खर्च पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी।

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