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कही आप गलत तरीके से नहीं कर रहे हैं योग, स्वामी रामदेव से जानिए सही तरीका

स्वामी रामदेव के अनुसार योग करने का भी एक प्रकिया है। कई लोग गलत तरीके से योग करते हैं। जिससे उनके शरीर पर बुरा असर पड़ता है। हर तरह के योगासन और प्राणायाम करने की विधि है।

योग करना सेहत के लिए कितना जरूरी है आज के समय में हर कोई बात को जानता है। रोजाना योग करके आप अपने शरीर को हेल्दी ही नहीं रखते बल्कि हर तरह की बीमारी से कोसों दूर रहते हैं। वह कई जेनेटिक बीमारियों से भी जड़ से छुटकारा मिल जाता है। स्वामी रामदेव के अनुसार योग करने का भी एक प्रकिया है। कई लोग गलत तरीके से योग करते हैं। जिससे उनके शरीर पर बुरा असर पड़ता है। हर तरह के योगासन और प्राणायाम करने की विधि है। जिसे अगर क्रम से किया जाए तो आपको हेल्दी रखने में कोई पीछे नहीं छोड़ सकता है। जानिए योगासन और प्राणायाम करने का सही तरीका।  

योगासन करने का सही तरीका

सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार ठीक ढंग से करना बहुत ही जरूरी है। तभी आपको पूरा लाभ मिलेगा। सूर्य नमस्कार को 12 चरणों में किया जाता है।  

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ताड़ासन
इस आसन के लिए सीधे खड़े हो जाएं। कमर भी बिल्कुल सीधा रखें। इसके बाद दोनों हाथों की अंगुलियों को आप में फंसा लें। अब हथेलियों को अपने सिर के ऊपर ले जाएं। इसके बाद  धीरे-धीरे सांस लेते हुए पंजों के बल खड़े होते हुए शरीर को ऊपर की ओर खीचें। इस अवस्था में थोड़ी देर रहने के बाद दोबारा पुरानी अवस्था में आ जाएं। इस आसन को कम के कम 7-8 बार करें। इस योगासन को करने से पूरी बॉडी की स्ट्रेचिंग हो जाती है।

मंडूकासन
 इस आसन के लिए व्रजासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद गहरी सांस लें और अपने दोनों हाथ के उंगलियों को मोड़कर मुट्ठी बनाएं। अब दोनों हाथ की मुट्ठी को नाभि के दोनों तरफ रखें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकेंगे। इस आसन में थोड़ी देर रहने के बाद फिर आराम से  सांस छोड़ते हुए सीधे हो जाए।  इस आसन को 5-6 बार करें। इस आसन को करने से  मधुमेह वालों के लिए फायदेमंद। पैंक्रियाज में इंसुलिन रिलीज करने के साथ ही इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करें।

फायदे

  • स्पाइन को करे मजबूत
  • शरीर को लचीला बनाए
  • पीठ, बाहों को मजबूत करे
  • दिल की बीमारी को बेहद फायदेमंद
  • थकान, चिंता और तनाव को करे कम

वृक्षासन

  • सीने कौ चौड़ा और मजूबूत बनाए
  • फ्लैट फीट करे
  • आंख और नाक के लिए फायदेमंद
  • रीढ़ की हड्डी को बनाए मजबूत

त्रिकोणासन

  • फेफड़ों को करे मजबूत
  • शरीर का संतुलन बनाए
  • एसिडिटी में कारगर

Image Source : india tvकही आप गलत तरीके से नहीं कर रहे हैं योग, स्वामी रामदेव से जानिए सही तरीका

व्रकासन

अगर आप अर्ध मत्स्येंद्रासन नहीं कर पा रहे हैं तो इस आसन को कर सकते हैं। इससे भी वहीं लाभ मिलते है। इसके लिए सबसे पहले आराम से बैठ जाएं। इसके बाद अपने पैरों को सामने की ओर फैला देंगे पैरों के बीच में कोई गैप नहीं रहेगा इसके बाद दाएं पैर को मोड़ते हुए बाएं पैर के घुटने के बगल ले आएंगे और दाएं हाथ को पीठ के पीछे  से ले जाते हुए जमीन को स्पर्श करेंगे। इसके बाद  बाएं हाथ से दाहिने पैर के बाई ओर से हाथ डालते हुए दाहिने पैर के घुटने को छुएंगे। सांस की गति सामान्य रखें। इस आसन में 2-3 बार करें। इसी तरह दूसरी ओर से दोहराएं। 

गौमुखासन
इस आसन के लिए वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएंगे आप चाहे तो दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं पैर के कुल्हें के नीचे रख सकते हैं और बाएं बाएं पैर को दोनों हाथों से उठाकर के घुटने से मोड़ते हुए दाहिने पैर के ठीक घुटने के ऊपर रखेंगे। इसके बाद बाएं हाथ को ऊपर से लेकर पीठ की ओर ले  जाएंगे। वहीं दूसरा हाथ नीचे से होते हुए पीठ के पास जाएगा। इसके बाद दोनों हाथों की अंगुलियों एक दूसरे से पकड़ लेंगे।  इस आसन को 5 मिनट तक किया जा सकता है। रीढ़ की हड्डी मजबूत, बवासीर में उपयोगी, लिवर-किडनी के लिए फायदेमंद।

फायदे

  • रीढ़ की हड्डी में मजबूत
  • लचीला बनाए
  • फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाए
  • पीठ, बांहों को करे मजबूत
  • मल्टीपल रक्लेरोसिस में मददगार

भुंजगासन
 इस आसन को दो तरह से किया जाता है। इस आसन के लिए योग मैट में आराम से पेट के बल ले जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को अपने मुंह के सामने लाकर एक दूसरे के पास रखकर पान का आकार दें। इसके बाद  लंबी-लंबी सांस लेते हुए कमर के ऊपरी हिस्से को धीमे-धीमे उठाएं और फिर मुंह से अपने हथेलियों को छुए और फिर ऊपर जाएं। इस प्रक्रिया को 50 से 100 बार करना चाहिए।  इस आसन को करने से लंबाई बढ़ती है। इसके साथ ही शरीर की थकावट कम होती है। पेट की चर्बा से भी दिलाएं निजात। 

फायदे

  • रीढ़ की हड्डी को कतरे मजबूत
  • कमर दर्द से दिलाए निजात
  • गर्दन की मांसपेशियों में लाभ

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शलभासन
इस आसन को करने से पूरा शरीर फिट रहता है। इस आसन को करने के लिए  सहसे पहले पेट के बल योग मैट में लेट जाएं। इसके बाद दोनों पैरों के पंजों को जोड़ लें। और अपने दोनों हाथों को अपने जांघ के नीचे रख लें। इसके बाद धीमे-धीमे सांस भरते हुए पैरों को ऊपर उठाएं। इस स्थिति में कुछ देर रहने के बाद पुरानी स्थिति में आ जाएं। इस आसन को कम सम कम 5 मिनट करें। 

उत्तानपादासन
यह आसन बिल्कुल शलभासन के तरह होता है। बस इसमें पेट के बेल नहीं बल्कि पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इस आसन को करने से छाती और मांसपेशियों में खिंचाव, पीठ के दर्द से निजात के साथ ही रीढ़ की हड्डी से सबंधी हर समस्या से निजात मिलता है। इसके साथ ही डायबिटीज कंट्रोल होने के साथ गर्दन और मांसपेशियों में खिंचाव होता है। 

पादहस्तासन

  • फेफड़ों को लिए फायदामेदमंज
  • पीठ और रीढ़ की हड्डी के लि ए फायदेमंद
  • सिर में रक्त संचार करे
  • पाचन संबंधी समस्याओं
  • पेट की चर्बी करे कम

शीर्षासन
इस आसन को सुबह-सुबह करना चाहिए। इस आसन के लिए सबसे पहले व्रजासन की मुद्रा में बैठ जाए। इसके बाद अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को इंटरलॉक करते हिए योग मैट के ऊपर रखें।  अब हथेली को कटोरी के आकार में मोड़ें और अपने सिर को झुकाकर हथेली पर रखें दें। अब धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं औप चाहे तो एक-एक करके उठा सकते हैं।  इसके अलावा आप अगर योग की शुरुआत कर रहे हैं तो किसी व्यक्ति या फिर दीवार का सहारा ले सकते हैं। अब अपने जरूर को नीचे से ऊपर बिल्कुल सीधा रखें। शरीर का बैलेंस बनाकर रखें। इस मुद्रा में कुछ देर रहने के बाद आराम से पैरों को नीचे कर लें।  इस आसन को करने शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से होता है। जिससे आपके बाल हेल्दी रहने के साथ शरीर मजबूत होगा। 

फायदे

  • आंखों के लिए लाभदायक
  • स्मरण शक्ति बढाए
  • मानसिक शांति दिलाए
  • ताजगी और ग्लो बढ़ाए

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सर्वांगसान
अगर शीर्षासन नही कर पा रहे हैं तो इस आसन को कर सकते हैं। इस आसन के लिए योग मैट में सीधे लेट जाएं। इसके बाद कमर के नीचे से धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाएं और 90 डिग्री का आकार बनाएं। इसके साथ ही अपने कमर को अपने हाथों से पकड़े रहें। इस स्थिति में थोड़ी देर रूके। इसके बाद फिर पुरानी मुद्रा में वापस आ जाओ। 

मंडूकासन

मंडूक का अर्थ है मेंढक अर्थात इस आसन को करते वक्त मेंढक के आकार जैसी स्थिति प्रतीत होती इसीलिए इसे मंडूकासन कहते हैं।  इस आसन के लिए व्रजासन या पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद गहरी सांस लें और अपने दोनों हाथ के उंगलियों को मोड़कर मुट्ठी बनाएं। अब दोनों हाथ की मुट्ठी को नाभि के दोनों तरफ रखें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकेंगे। इस आसन में थोड़ी देर रहने के बाद फिर आराम से  सांस छोड़ते हुए सीधे हो जाए।  इस आसन को करने से पैंक्रियाज पर दवाब पड़ता है। जिससे आपका  इंसुलिन कंट्रोल होगा। इस आसन को करने से डायबिटीज के साथ -साथ कोलाइटिस से निजात दिलाता है। इसके अलावा अगर कमर में दर्द हैं तो ज्यादा झुकने से बचें।  इस आसन को 3 से 5 बार करें।  

व्रकासन
वक्रासन बैठ कर किए जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण आसन है। वक्रासन 'वक्र' शब्द से निकला है जिसका मतलब होता टेढ़ा। इस आसन में रीढ़ टेढ़ी या मुड़ी हुई होती है, इसीलिए इसका यह नाम वक्रासन रखा गया है। सबसे पहले आराम से बैठ जाएं। इसके बाद अपने पैरों को सामने की ओर फैला देंगे पैरों के बीच में कोई गैप नहीं रहेगा इसके बाद दाएं पैर को मोड़ते हुए बाएं पैर के घुटने के बगल ले आएंगे और दाएं हाथ को पीठ के पीछे  से ले जाते हुए जमीन को स्पर्श करेंगे। इसके बाद  बाएं हाथ से दाहिने पैर के बाईओर से हाथ डालते हुए दाहिने पैर के घुटने को छुएंगे। सांस की गति सामान्य रखें। इस आसन में 2-3 बार करें। इसी तरह दूसरी ओर से दोहराएं।  यह डिप्रेशन के साथ-साथ डायबिटीज को कंट्रोल करता है।  इस आसन को करने से फेफड़ों से जुड़ी दिक्कत से निदान मिलता है। रीढ़ की हड्डी मजबूत करें। पेट के लिए भी अच्छा है। इसके साथ ही पूरे शरीर को हेल्दी रखने में मदद करता है।  

फायदे

  • डायबिटीज को करे कंट्रोल
  • पेट की कई समस्याओं में कारगर
  • पाचन क्रिया में कारगर
  • कब्ज रोकने में कारगर

Image Source : india tvकही आप गलत तरीके से नहीं कर रहे हैं योग, स्वामी रामदेव से जानिए सही तरीका

प्राणायाम करने का सही तरीका

भस्त्रिका
इस प्राणायाम को 3 तरह से किया जाता है। पहले में 5 सेकंड में सांस ले और 5 सेकंड में सांस छोड़े। दूसरे में ढाई सेकंड सांस लें और ढाई सेकंड में छोड़ें। तीसरा तेजी के साथ सांस लें और छोड़े।  इस प्राणायाम को लगातार 5  मिनट करें। 

कपालभाति
इस प्राणायाम को 5 से 10  मिनट करें। हर 5 मिनट के बाद 1 मिनट आराम करें। सामान्य व्यक्ति 3 बार 5-5 मिनट करें। इस आसन को हाइपरटेंशन, अस्थमा, खून की कमी, बीपी, हार्ट के ब्लॉकेज वाले लोग 2 सेकंड में एक स्ट्रोक करें।   

अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस आसन को करने से त्वचा संबंधी, दमकती त्वचा, डायबिटीज, ब्रेन संबंधी हर समस्या, तनाव, दिमाग को शांत रखें, ब्लड सर्कुलेशन ठीक रखने के साथ पाचन तंत्र को फिट रखने में मदद करता है।

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उज्जयी प्राणायाम
गले से सांस अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े। इस आसन को करने से मन शांत रहता है, अस्थमा, टीबी, माइग्रेम, अनिद्रा आदि समस्याओं से दिलाएं निजात। 

भ्रामरी प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है।  इस आसन को करने से तनाव से मुक्ति के साथ मन शांत रहेगा। ​​

उद्गीथ प्राणायाम 
इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से 'ऊं' के उच्चारण करते हैं।  इस प्राणायाम को करने से पित्त रोग, धातु रोग, उच्च रक्तताप जैसे रोगो से निजात मिलता है।।

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