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एयरसेल-मैक्सिस केस: कोर्ट ने पी. चिदंबरम और उनके बेटे के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए सीबीआई, ईडी को 4 मई तक का वक्त दिया

दिल्ली की अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए सीबीआई, ईडी को चार मई तक का वक्त दिया।

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नई दिल्ली। दिल्ली की अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए सीबीआई, ईडी को चार मई तक का वक्त दिया। ईडी ने अदालत को बताया कि चार देशों को अनुरोध पत्र भेजे गए हैं, उनके जवाब का इंतजार है। 

एयरसेल मैक्सिस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई देशों में लेटर्स रोगेटरी (एक अदालत से विदेशी न्यायिक सहायता के लिए औपचारिक अनुरोध) की पेंडेंसी के कारण समय मांगा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 4 मई के लिए स्थगित कर दी है। बता दें कि कार्ति चिदंबरम और उनके पिता व पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम एयरसेल मैक्सिस केस और आइएनएक्स मीडिया केस में आरोपित हैं।

अदालत ने कार्ति चिदंबरम को विदेश यात्रा की अनुमति दी

गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने बीते मंगलवार को कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम को विदेश यात्रा की अनुमति दे दी थी। विशेष सीबीआई न्यायाधीश अजय कुमार कुहर ने उन्हें ब्रिटेन और फ्रांस की यात्रा करने की अनुमति दी। उन्हें देश छोड़ने से पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अपनी यात्रा कार्यक्रम की एक प्रति प्रदान करनी होगी। कार्ति के वकील अर्शदीप खुराना और अक्षत गुप्ता ने 17 फरवरी से एक मार्च तक ब्रिटेन और फ्रांस की यात्रा के लिए अनुमति मांगी थी। कार्ति अपने पिता व पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ एयरसेल-मैक्सिस मामले में अग्रिम जमानत पर बाहर हैं। उन्हें अग्रिम जमानत देते हुए अदालत ने उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था। अदालत ने उन्हें बिना पूर्व अनुमति के देश नहीं छोड़ने का निर्देश दिया था।

यह मामला एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी से जुड़ी कथित अनियमितताओं से संबंधित है। एफआईपीबी की मंजूरी 2006 में दी गई थी जब पी. चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे। उस समय लागू नियमों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के अनुसार, चिदंबरम को केवल 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश से जुड़े प्रस्तावों को मंजूरी देने का अधिकार था। यह आरोप लगाया गया है कि चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को कंपनी में पांच फीसदी हिस्सेदारी प्राप्त होने तक सौदे की मंजूरी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से रोक दिया था।

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