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केजरीवाल ने अमित शाह-सीतारमण को लिखा पत्र, केंद्रीय करों में की दिल्ली की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ती आबादी को देखते हुए केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की।

Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal- India TV Paisa Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal

नयी दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ती आबादी को देखते हुए केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की। 

उन्होंने कहा कि दिल्ली अन्य राज्यों की तरह है और 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय करों तथा स्थानीय निकायों को अनुदान में हिस्सेदारी के मामले में इसके साथ अन्य प्रदेशों की तरह व्यवहार किये जाने का मामला बनता है।

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है, 'केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के बदले अनुदान का हस्तांतारण वर्ष 2000 से 325 करोड़ रुपये सालाना पर स्थिर बना हुआ है।'  उन्होंने कहा कि केंद्र तथा केंद्र शासित प्रदेशों के बीच कर हिस्सेदारी से संबद्ध संविधान का अनुच्छेद 270 (3) पर ध्यान नहीं दिये जाने से दिल्ली केंद्रीय करों में कम-से-कम 6,500 करोड़ रुपये की वैध हिस्सेदारी से वंचित है। 

केजरीवाल ने कहा कि दुर्भाग्य से संवैधानिक प्रावधान को छोड़ दिया गया जिससे विसंगति पैद हुई और इससे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के वित्त प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है और तीव्र गति से वृद्धि वाले महानगरों में से एक है। दिल्ली को काफी संसाधनों की जरूरत है। 

मुख्यमंत्री ने लिखा है, 'दिल्ली सरकार को बुनियादी ढांचे को बनाये रखना है जो वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। साथ ही उसे बढ़ती आबादी के लिये नागरिक सुविधाएं बढ़ानी है जो राजधानी में रोजगार और बेहतर जीवन चाहते हैं।'

उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक योजनाओं, परिवहन, सड़क और अस्पताल आदि पर बड़े निवेश की जरूरत है। केजरीवाल ने शाह और सीतारमण से मामले में व्यक्तिगत तौर पर गौर करने और वित्त आयोग को मामले में अतिरिक्त संदर्भ उपलब्ध कराने का आग्रह किया है जिससे वह दिल्ली के लिये केंद्रीय करों में वाजिब हिस्सेदारी की सिफारिश कर सके। 

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